
नॉन-पॉलिटिकल संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) के तहत किसान संगठनों ने अपनी पहले की घोषणा के मुताबिक शुक्रवार को पंजाब के मुकेरियां शुगर मिल के बाहर अनिश्चितकालीन विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया. 'द ट्रिब्यून' की रिपोर्ट के मुताबिक, प्रदर्शन के दौरान गन्ना किसानों ने राज्य सरकार और पंजाब गन्ना कमिश्नर के खिलाफ नारे लगाए.
सभा को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि राज्य सरकार ने किसानों के मुद्दों के प्रति नेगेटिव रवैया दिखाया है. उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने गन्ना मिलों के कामकाज को लेकर गुमराह करने वाले कदम उठाए हैं.
24 नवंबर को हुई शुगरकेन कंट्रोल बोर्ड की मीटिंग का जिक्र करते हुए, नेताओं ने दावा किया कि गन्ना कमिश्नर ने मिलों को फिर से खोलने का नोटिफिकेशन जारी करने में देरी की. उन्होंने कहा कि 25 नवंबर से मिलों को फिर से खोलने का ऑर्डर 26 नवंबर को जारी किया गया. उसी समय, राज्य सरकार या प्राइवेट कोई भी मिल चालू नहीं थी, और किसी भी मिल ने किसानों को सप्लाई स्लिप जारी नहीं की थी.
नेताओं ने यह भी बताया कि पंजाब के मुख्यमंत्री की ओर से हाल ही में उद्घाटन की गई पनियाद कोऑपरेटिव शुगर मिल में अभी तक पेराई शुरू नहीं हुई है. उन्होंने कहा कि प्राइवेट मिलें कब से शुरू होंगी, इस बारे में कोई स्पष्टता नहीं है और सरकार ने आश्वासनों के अलावा कोई पक्की समयसीमा नहीं दी है.
उन्होंने कहा कि चीनी मिलें आमतौर पर 5 से 25 नवंबर के बीच काम करना शुरू कर देती हैं और पिछले वर्षों में कुछ तो अक्टूबर में भी खुल जाती थीं. उन्होंने कहा कि मौजूदा सरकार के तहत देरी अक्सर हो गई है और इस साल किसानों को विशेष रूप से मुश्किल स्थिति का सामना करना पड़ रहा है.
किसानों ने एक पर्ची पर एकमुश्त भुगतान की कमी और पिछले सीजन से 61 रुपये प्रति क्विंटल की लंबित सब्सिडी पर भी गुस्सा जताया.
भारतीय किसान यूनियन आजाद के प्रदेश अध्यक्ष अमरजीत सिंह राड़ा ने चेतावनी दी कि जब तक सरकार निजी और सहकारी मिलों को तुरंत फिर से शुरू नहीं करती और एक पर्ची जारी करने के समय काउंटर भुगतान सुनिश्चित नहीं करती, विरोध जारी रहेगा. उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में आंदोलन तेज होगा.