महाराष्ट्र में किसान फसलों से अच्छी उपज लेने के लिए विभिन्न प्रकार के प्रयोग करते हैं. वहीं महाराष्ट्र सरकार भी कृषि उपज बढ़ाने के लिए कई तरह के वैज्ञानिक प्रयोग करवा रही है. लेकिन, इसके साथ ही खेतों पर किसानों के अभिनव प्रयोग जारी हैं. महाराष्ट्र के भंडारा जिले में किसान प्रमोद भूटे का एक अनोखा प्रयोग चर्चा में बना हुआ है. प्रमोद ने रविवार को धान की नर्सरी को हरा रखने के लिए उस पर देसी शराब का छिड़काव किया है. किसान का दावा है कि देशी शराब के छिड़काव से फसलों को भी प्रारंभिक स्तर पर फायदा हुआ है. आइए जानते हैं कि पूरा मामला क्या है और फसलों पर शराब के छिड़काव को लेकर वैज्ञानिकों को क्या कहना है.
किसान प्रमोद भूटे का कहना है कि बदलते मौसम कि वजह से उनके पौधों सूख रहे थे और कीटों के अटैक बढ़ने का डर सताने लगा था. जिसके बाद उन्होंने रासायनिक खाद के अनावश्यक खर्च से बचने के लिए और पौधों को सही रखने के लिए देशी शराब का छिड़काव किया. उन्होंने बताया कि उन्होंने शराब में पानी मिलाकर उसका छिड़काव धान की नर्सरी पर किया है.
किसान प्रमोद भूटे बताते है कि पहले जब वो अपनी पौधों को सूखने से बचाने के लिए पौधों पर देसी शराब का छिड़काव कर रहे थे, तभी शुरुआत में सभी किसानों ने उनका मजाक उड़ाया था और अब जब मेरी धान कि नर्सरी लहराने लगी है तो अब दूर-दूर से किसान उनके पास नर्सरी लेने कि मांग करने लगे हैं. महाराष्ट्र के भंडारा, गढ़चिलोरी, चंद्रपुर, नागपुर, रायगढ़, पालघर, नासिक, कोल्हापुर, पुणे, ठाणे, रत्नागिरी, सिंधुदुर्ग, अहमदनगर एवं नांदेड़ में भी धान की खेती की जाती है. खासतौर पर विदर्भ में धान मुख्य फसल है.
महाराष्ट्र में भंडारा एक चावल उत्पादक जिला है और इस जिले में साल में तीन बार चावल की फसल होती है. खरीफ सीजन के बाद रबी फसलों की बुआई शुरू हो गई है. ग्रीष्मकालीन धान की बिजाई के लिए नर्सरी तैयार की जा रही है. पिछले 15 दिनों में मौसम में बड़ा बदलाव आया है और कड़ाके की ठंड का असर फसलों पर भी पड़ा है. बदलते मौसम ने धान की नर्सरी पर प्रभाव डाला है. धान के पौध पीले पड़ गए थे और कीड़ों से ग्रसित होकर मर रहे थे. इन्हें बचाने के लिए किसानों ने बड़ी मात्रा में रासायनिक कीटनाशकों का छिड़काव किया. लेकिन, इसका असर किसानों को नहीं दिखा, जिसके बाद किसानों को डर सताने लगा. इसके चलते किसान प्रमोद भूटे यहा जुगाड़ अपनाया.
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महाराष्ट्र में फसलों पर देशी शराब का छिड़काव का प्रयोग नया नहीं है, इसले पहले उस्मानाबाद जिले में किसानों ने अपनी प्याज कि फसलों प्याज में चमक लाने और बीमारियों से बचाने के लिए उस पर देसी शराब का छिड़काव कर किया था.
माइक्रोबायोलॉजी के प्रिंसिपल साइंटिस्ट युद्धवीर सिंह कहते हैं कि अल्कोहल के स्प्रे से फसलों को फायदा पहुंचने का कोई साइंटिफिक प्रमाण नहीं है. लैब में ऐसा कोई टेस्ट भी नहीं किया गया.किसानों में इसे लेकर एक भरम हैं, किसानों को इस तरह के उपयोगे से बचना चाहिए.
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