महाराष्ट्र के अकोला जिले में मॉनसून की पहली जोरदार बारिश ने ही तबाही मचा दी है. जिले की पातूर, बार्शीटाकली और बालापुर तहसीलों में सबसे ज्यादा असर देखा गया. पातूर तहसील का झरंडी गांव चारों ओर से विश्वामित्र नदी और नालों के पानी से घिर गया और गांव में पानी घुसने से स्थिति भयावह हो गई. हालांकि, प्रशासन ने तत्परता दिखाते हुए तीन परिवारों के 12 लोगों को सुरक्षित रेस्क्यू कर सरपंच निवास पर अस्थायी आश्रय दिलाया. तहसीलदार राहुल वानखडे और राजस्व अधिकारियों की टीम मौके पर पहुंचकर हालात पर नजर बनाए हुए हैं. वहीं, कई गांवों में खेतों में पानी घुसा गया, जिससे फसलों और मिट्टी को नुकसान पहुंचा है.
भारी बारिश से पिंजर्डा नदी (बार्शीटाकली) में बाढ़ से खेर्डा भागाई और पिंजर गांवों का संपर्क मुख्यालय से टूट गया है. विद्रूपा और विश्वामित्र नदियों का जलस्तर खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है. मलसुर गांव में विश्वामित्र नदी पर बना बांध 100 प्रतिशत भरकर ओवरफ्लो हो गया, जिससे पानी सीधे घरों में घुस गया. वहीं, डोबाडी नाले का पानी भी रिहायशी इलाकों में घुस गया. वसाली, पांगरताटी और झरंडी में भारी बारिश ने स्थिति और गंभीर बना दी.
मन नदी और मस नदी के उफान से बालापुर शहर तक पानी पहुंच गया, जिससे शहर का दोनों ओर से संपर्क टूट गया. मन नदी पर बने बांध के दो गेट खोले गए, जिससे पुलिया के ऊपर से पानी बहने लगा. पूरे बालापुर क्षेत्र में बिजली आपूर्ति ठप, नागरिकों को अंधेरे में रात गुजारनी पड़ी.
जहां कुछ किसानों ने बारिश आने से राहत की सांस ली, वहीं नदी-नालों के किनारे बसे किसानों की फसलें और उपजाऊ मिट्टी दोनों बह गईं. झरंडी, मलसुर, वसाली जैसे गांवों में खेतों में पानी भर गया और फसलें पूरी तरह बर्बाद हो गईं. इस आपदा ने कृषि संकट को फिर से गहरा दिया है.
वहीं, मॉनसून की पहले बारिश में ही नए जिलाधिकारी कार्यालय में लीकेज की समस्या देखी गई, जिससे इसके निर्माण पर सवाल उठने लगे हैं. इसी साल 11 जून को मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कार्यालय का उद्घाटन किया था. लेकिन, कार्यालय की दीवारें पहली ही बारिश में टपकने लगीं.
वहीं मुंबई-कोलकाता नेशनल हाईवे- 53 और सूरत-कोलकाता NH-56 पर कई जगह पानी भर गया. काटेपूर्णा ब्रिज पर जलनिकासी की कमी से वाहन चालकों को दिक्कतों का सामना करना पड़ा. साथ ही कम दृश्यता के चलते दुर्घटना का खतरा भी बना रहा. जिलाधिकारी अजित कुंभार ने कहा कि झरंडी, मरसुल और अन्य प्रभावित गांवों की स्थिति पर लगातार नजर रखी जा रही है. पातुर के तहसीलदार राहुल वानखेडे ने बताया कि अब स्थिति सामान्य हो रही है. नदियों को जलस्तर अभी बढ़ा हुआ है. बारिश की तीव्रता में कुछ कमी आई है, लेकिन रात में दोबारा तेज बारिश की संभावना जताई गई है. नदी-नालों के किनारे के नागरिकों को सतर्क रहने की सलाह दी गई है.