महाराष्ट्र के विदर्भ में सोयाबीन और कपास की खेती सबसे अधिक होती है और उत्पादन भी सबसे अधिक होता है. किसानों को इसकी खेती के लिए काफी मेहनत करनी पड़ती है पर इसके बाद भी किसान चिंतित रहते हैं. इस बार तो हालात और खराब हो गए हैं क्योंकि इस बार किसानों को सोयाबीन और कपास की उचित कीमत नहीं मिल रही है. किसानों का कहना है कि उन्हें सोयाबीन और कपास की खेती में लगने वाली लागत इतनी भी कीमत नहीं मिल पा रही है. इसके लेकर किसान गुस्से में हैं और उन्होने विरोध प्रदर्शन किया. इस विरोध प्रदर्शन में हजारों किसान शामिल हुए.
विरोध के तहत किसानों ने अपनी विभिन्न मांगों को लेकर बुलढाणा में यलगार महामोर्चा निकाला. इस दौरान किसानों ने मांग रखी की किसानों को सोयाबीन के दाम प्रति क्विंटल 9000 रुपये दिए जाए और कपास के लिए 12500 रुपये प्रति क्विंटल की कीमत दी जाए. इसके अलावा विरोध कर रहे किसानों ने मांग रखी की येलोमोझेक, बोंडईल्ली में समय पर बारिश नहीं हुई है इसके कारण किसानों को नुकसान हुआ है उन्हें प्रति एकड़ 10 हजार रुपय का मुआवजा दिया जाएगा. इन मांगों को लेकर किसान नेता रविकांत तुपकर की अगुवाई किसानों ने विरोध किया.
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मार्च के दौरान किसानों की अगुवाई कर रहे किसान नेता रविकांत तुपकर कहा कि सरकार को किसानों की मांगों को पूरा करने के लिए सात दिनों का समय दिया है. साथ ही कहा है कि अगर सात दिनों के अंदर विरोध कर रहे किसानों के मांगों को सरकार पूरा नहीं करती है तो और उग्र आंदोलन किया जाएगा. इसके तहत पूरे राज्य भर के किसान 28 नवंबर को मुंबई पहुंचेंगे और विरोध स्वरुर कृषि मंत्रालय पर कब्जा कर लेंगे. किसान नेता तुपकर ने कहा है इस बार किसानों ने नारा दिया गै कि मांगे पूरी करो नहीं कर सकते हो तो कुर्सियां खाली करो.
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उन्होंने कहा कि आज इस मोर्चे के माध्यम से हमने सरकार को सात दिन की मोहलत दी है. अगर सात दिनों में सोयाबीन और कपास की फसलों को दाम बढ़ाकर नहीं दिया गया और बीमा के साथ-साथ किसानों को हुए की नुकसान भरपाई का निर्णय नही किया गया तो मुंबई का मंत्रालय पर किसान कब्जा कर लेंगे. उन्होंने कहा कि मंत्रालय किसानों की मेहनत के पैसों का है. 28 नवंबर को बुलढाना से हजारों किसान अपने वाहनों से मुंबई की तरफ कूच करेंगे. मंत्रालय में मंत्रियों को बैठने नही देंगे. उन्होंने मांग रखी की किसानों की मांगे पूरी करो नही तो कुर्सी खाली करो.