महाराष्ट्र के हिंगोली जिले में एक बार फिर से मौसम नें करवट बदली है. बीते शाम बसमत और ओंढा तहसील इलाके पांच मंडलों में भारी बारिश से बाढ़ के हालत बन गए थे, जिसके बाद सोयाबीन, कपास हल्दी समेत अन्य फसलो का भारी नुकसान देखने को मिल रहा है. यहां पर कुदरत कि मार से हैरान किसान सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं. खेतों में घुटने-घुटने तक पानी भर गया है, जिसमें सोयाबीन और तुअर की फसलें तैरती हुई दिख रही हैं.
बीती शाम हिंगोली के लगभग सभी इलाकों में भारी बारिश हुई है, लेकिन सबसे ज्यादा खामियाजा बसमत तहसील के गुंडा, तेलगाव, आरल, टेंभूरनी, कलम्बा दरीफल मंडलो को भुगतना पड़ा, क्योंकि सबसे ज्यादा तबाही मची है. नदी-नालों में आई बाढ़ में सैकड़ों किसानों के खेत में खड़ी सोयाबीन, तुअर और हल्दी कि फसलें तिनके की तरह बह गई है.
बची फसलों में घुटनों तक पानी भरा हुआ है. प्रभावित गांवों के किसानों का कहना है कि खेत में सोयाबीन की फसल पूरी तरह पक गई थी और कटाई के बाद कुछ दिनों में फसल मार्केट में पहुंचने वाली थी. लेकिन, इससे पहले ही भारी बारिश ने फसल तबाह कर दी. इस साल के सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, अब तक जिले में 2,22, 865 हेक्टेयर पर खड़ी फसले तबाह हो गई है. इनमे प्रमुख तौर पर सबसे ज्यादा नुकसान सोयाबीन, तुअर, हल्दी और कपास की फसलें हैं.
किसान शिवाजी गुरे ने कहा कि कल दोपहर 2 बजे के बाद हुई बारिश के कारण सोयाबीन और कपास को भारी नुकसान हुआ है. मगर क्षतिग्रस्त इलाके का पंचानामा करने के लिए कोई नहीं आया है. हमारी मांग है कि जल्द फसलों के पंचनामे करके मदद दी जाए.
वहीं, एक अन्य किसान प्रभाकर काटूरे ने कहा कि इस साल लगातार हो रही बारिश के कारण हमारी फसलों का भारी नुकसान हुआ है. मगर सरकार हमारी तरफ देखने को तैयार नहीं है. इतने नुकसान के बावजूद सरकार किसानों की मदद करने के लिए कोई कदम नहीं उठा रही है.
इतने नुकसान के बावजूद भी कुदरत का प्रकोप कम नहीं हो रहा है. इसलिए अब इन सभी किसानों के सामने एक बड़ा संकट खड़ा हो गया है कि वे सालभर अपने परिवार का गुजारा कैसे करेंगे. यहां के किसानों नें सरकार से गुहार लगाई है कि जल्द से जल्द फसलों के नुकसान का पंचनामा कर उनको एक बार फिर संकट से उबारकर खड़ा होने के लिए सहारा दें.