जलवायु परिवर्तन का असर दिखने लगा है. जलवायु परिवर्तन की वजह से बैमौसम बारिश और समय से पहले गर्मी आम बात हो चली है. ऐसे में मौसम की इस मार का सबसे ज्यादा असर बागवानी फसलों पर पड़ा है. बेमौसम बारिश, ओलावृष्टि और अत्यधिक ठंड की वजह से अंगूर के बाग और आम की खेती बुरी तरह से प्रभावित हुई है. वहीं अब अल्फांसो आम पर भी जलवायु परिवर्तन का असर दिखने लगा है. नतीजतन, अल्फांसो आम के उत्पादन पर असर पड़ने की संभावनाएं हैं. ऐसे में अल्फांसो आम के दीवानों के लिए इसका इंतजार लंबा हो सकता है.
आमों के राजा कहे जाने वाले अल्फांसो की पूरे देश में मांग होती हैं. लेकिन, इस बार प्रकृति के बेरुखी के कारण अब तक पेड़ों पर फूल नहीं लगे हैं. रत्नागिरी के किसान सचिन मांजरेकर बताते हैं कि आमतौर पर जनवरी तक करीब 60 से 70 फीसदी पेड़ों में फूल आने लगते हैं. लेकिन, इस साल अभी तक सिर्फ 5 फीसदी तक ही पेड़ों पर फूल लगे हैं. ऐसे में मार्च तक भी आम के पकने की संभावना दूर-दूर तक नहीं दिखती है.
रत्नागिरी, सिंधुदुर्ग, रायगढ़, पालघर और ठाणे जैसे तटीय जिलों में अल्फांसो आम की खेती सबसे ज्यादा की जाती है. लेकिन, वहां भी केवल 5 प्रतिशत तक ही पेड़ों पर फूल लगे हैं. इसके चलते किसानों की चिंताएं बढ़ गई हैं. किसानों का कहना हैं कि इस साल उत्पादन में भी गिरावट आ सकती हैं. जिसका असर क़ीमतों पर पड़ सकता है.
अल्फांसो आम की खेती करने वाले रत्नागिरी के किसान सचिन मजेकर ने बताया कि अगर फरवरी में भी पेड़ों में फूल आना शुरू नहीं हुए तो इस साल किसानों को भारी नुकसान झेलना पड़ सकता हैं. अक्टूबर, नवंबर में हुई बेमौसम बारिश और अभी बदलते जलवायु परिवर्तन के कारण फलों पर नकारात्मक असर दिखाई दे रहा है. इस समय जिले में किसान और मजदूर टेंशन में बैठे हैं. मजदूरों के पास काम नहीं हैं और उत्पादन को लेकर किसान चिंता में है.
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किसानों का कहना हैं कि इस साल बाज़ारो में आवक में 45 दिनों से ज्यादा की देरी हो सकती हैं. मध्य अप्रैल में आम की सप्लाई भी शुरू होगी.उत्पादन में गिरावट के कारण कैसे संभव होगा सब. इसके चलते किसानों को घाटा ही घाटा होगा.
परंपरागत रूप से अल्फांसो का मौसम मार्च और मई के बीच होता है. और ऐसे में इस साल सीजन छोटा होगा.
मानसून की शुरुआत के साथ उपभोक्ता फल खाना बंद कर देते हैं. पीक सीजन के दौरान, खुदरा बाजार में अल्फांसो की कीमत 2,000 रुपये प्रति दर्जन से ज्यादा होती हैं.लेकिन, इस साल उल्टा होने की संभावना हैं. किसान सचिन का कहना हैं कि अगर मध्य अप्रैल के बाद ही आम मंडियों में पहुंचता है, तो किसान अपनी उपज को कैसे बचाएंगे. आगे उन्होंने कहा कि प्रीमियम फलों की मांग केवल मई के अंतिम सप्ताह तक रहती है.
नवी मुंबई वाशी मंडी के व्यापारी संजय पानसारे का कहना है कि इस साल मंडी में देवगढ़ और अलीबाग से अल्फांसो आम की सिर्फ 100 पेटियों की आवक पहुंची है.अमूमन हर साल फरवरी में 8 से 10 हज़ार से ज्यादा पेटियों की आवक पहुंती हैं. पानसारे ने बताया कि इस साल अल्फांसो आम की आवक में भारी गिरावट है. वहीं मई में थोड़ी आवक पहुंच सकती है. और अप्रैल तक आवक में कमी रह सकती है. आगे उन्होंने कहा कि हर साल अप्रैल तक मुंबई की मंडी में लाखों पेटियों आम की आवक होती हैं लेकिन साल ज्यादा नहीं सिर्फ 6 से 7 हज़ार तक ही अल्फांसो आम की आवक हो सकती है.और इसका असर कीमतों पर भी पड़ पड़ेगा.
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