प्याज के बाद अब महाराष्ट्र के किसानों को टमाटर भी रुलाने लगा है. इन दोनों से सब्जियों का जायका बढ़ता है लेकिन, इन दिनों इसकी खेती करने वाले किसान खासे परेशान हैं. पिछले साल से ही यहां किसानों को प्याज का दाम 1-2 रुपये प्रति किलो मिल रहा है तो अब यही नौबत टमाटर को लेकर आ खड़ी हुई है. महाराष्ट्र की कई मंडियों में किसानों ने टमाटर फेंक दिए. कुछ ने खेत में उसे सड़ने दिया है और कुछ किसान इसे सड़कों के किनारे फेंक रहे हैं. इस साल टमाटर की बंपर फसल किसानों के लिए मुसीबत बन गई है. हालांकि, दिल्ली और मुंबई जैसे शहरों में उपभोक्ताओं को अब भी एक किलो टमाटर के लिए 20 से 25 रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं. बहरहाल, राज्य में टमाटर का उचित दाम नहीं मिल रहा है, लागत भी नहीं निकल पाने से नाराज किसान उसे फेंकने का फैसला ले रहे हैं.
राज्य की ज्यादातर मंडियों में टमाटर का दाम सिर्फ 2 से 4 रुपये प्रति किलो रह गया है. इतने दाम में लोडिंग, अनलोडिंग और किराये का खर्च भी नहीं निकलेगा. जबकि प्रोसेसिंग यूनिट हैं नहीं कि किसान उस टमाटर का कैचअप या दूसरी चीजें बनाकर बेच सकें. कोल्ड स्टोरेज बनाने की इतनी चर्चा होती है कि जैसे लगता है कि अब किसानों के दिन बहुरने वाले हैं. लेकिन, जब जमीनी हालात देखे जाते हैं तो तस्वीर बिल्कुल अलग होती है. महाराष्ट्र की जमीनी हकीकत यही है कि किसानों को न तो प्याज का सही दाम मिल रहा है और न ही टमाटर का.
पुणे जिले का एक जुन्नर नामक तालुका है. इसकी नारायणगांव मंडी में दाम न मिलने से परेशान कई किसानों ने सरकार से अपना विरोध दर्ज करवाने के लिए कई कैरेट टमाटर जमीन पर फेंक दिए. ताकि सरकार देखे कि किसान किस मजबूरी में अपनी फसल फेंक रहे हैं. हालांकि, सरकार ने विरोध के इस तरीके पर कोई संज्ञान नहीं लिया. टमाटर उगाने वाले किसानों को राहत देने के लिए कोई फैसला नहीं लिया गया.
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मध्य प्रदेश और आंध्र प्रदेश देश के सबसे बड़े टमाटर उत्पादक हैं. लेकिन, इस मामले में महाराष्ट्र भी कम नहीं है. देश के कुल टमाटर उत्पादन में इसका योगदान 6 फीसदी का है. यहां हर साल कम से दो बार ऐसा वक्त जरूर आता है जब दाम दो रुपये प्रति किलो तक के निचले स्तर पर गिर जाता है और किसान उसे फेंकने के लिए मजबूर हो जाते हैं. महाराष्ट्र सहित अधिकांश राज्यों के किसान काफी दिनों से कृषि उपज का कम दाम मिलने की समस्या से परेशान हैं. इसीलिए कुछ किसान संगठन लागत के हिसाब से सभी फसलों का न्यूनतम दाम तय करने की मांग उठा रहे हैं.
(Source: Maharashtra State Agricultural Marketing Board)