शरबती गेहूं की पहचान बेहतरीन स्वाद और सोने जैसी चमक के लिए होती है. अपनी इस खास पहचान के लिए यह देशभर में प्रसिद्ध है.पर इस बार सीहोर के इस शरबती गेहूं की चमक फीकी पड़ सकती है. बेमौसम हुई बारिश और ओलावृष्टि ने शरबती गेहूं की चमक को इस बार फीका करने का काम किया है. क्योंकि इससे फसल को नुकसान हुआ है इस कारण इस बार इसको उत्पादन पर भी असर पड़ सकता है. किसानों का कहना है कि बारिश और ओलावृष्टि के कारण इस बार दाना छोटा रहेगा इसका असर इसके उत्पादन पर भी पड़ेगा. गौरतलब है कि सीहोर के शरबती गेहूं की मांग पूरे देश से होती है और कई प्रदेशों में इसकी सप्लाई की जाती है. पर इस बार मौसम की मार के कारण इसके उत्पादन में कमी आने की संभावना है इसलिए किसान चिंतित और परेशान हैं.
दरअसल पिछले दिनों जिले में बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि ने अपना कहर बरपाया था. भारी ओलावृष्टि के कारण खेतों में खड़ी शरबती गेहूं की फसल को खूब नुकसा हुआ था, इसके अलावा जो फसल काट कर रखी हुई वह भी भींग गई. इसके कारण उत्पादन और गुणवत्ता दोनों में असर होने वाला है.इसके कारण किसानों की चिंता बढ़ गई हैं. किसानों ने बताया कि बारिश ओलावृष्टि से गेहूं भीग गया है. भींगने के कारण गेहूं का रंग हल्का काला पड़ने लगा है साथ ही इसका दाना भी अब छोटा हो जाएगा. जिससे इसका वजन कम होगा और उत्पादन भी घट जाएगा. किसानों ने गेहूं की खेती में हुए नुकसान के लिए सर्वे कराकर मुआवजा राशि के साथ बीमा राशि दिए जाने की भी मांग की ताकि किसानों को हुए नुकसान की भारपाई की जा सके.
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जिले के ग्राम रफीकगंज के किसान सुरेश परमार ने बताया कि शरबती गेहूं में बारिश ओला वृष्टि का असर पड़ा है. इसके कारण गेहूं का दाना छोटा रहेगा और चमक पर असर पड़ेगा. क्वालिटी घटने के कारण गेहूं का जो दाम मिलना चाहिए वो नहीं मिलेगा मिलेगा. इसके अलावा इस गेहूं का इस्तेमाल किसान अगले साल बीज के तौर पर नहीं कर पाएंगे. पानी लगने से गेंहू की चमक चली गई है. किसानों ने कहा कि अधिक नुकसान हुआ है इसलिए उन्हें मुआवजा चाहिए. सरकार को चाहिए की सर्वे कराए और मुआवजा राशि मिले, इसके साथ ही बीमा योजनाओं का लाभ भी किसानों को मिले.
किसान तक को मिली जानकारी के अनुसार इस बार सीहोर जिले में 336 हेक्टेयर में गेहूं की बुवाई हुई की गईथी. इसमें से 20 प्रतिशत गेंहू की कटाई हो चुकी है. हालांकि अभी कई खेतों में गेहूं की फसल कटाई के लिए तैयार है और कई खेतों में गेंहू काट कर थ्रेसिंग के लिए रखी हुई थी. पर इस बीच अचानक हुई बेमौसम बारिश ओलावृष्टि ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है. कृषि मौसम विस्तार अधिकारी के मुताबिक मौसम की मार के कारण फसल के उत्पादन पर असर पड़ेगा और उसकी गुणवत्ता पर भी असर देखने के लिए मिलेगा.
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शासकीय आर ए के कॉलेज के कृषि मौसम वैज्ञानिक डॉ एसएस तोमर ने किसान तक को फोन पर जानकारी देते हुए किसानों के लिए एडवाइजरी करते हुए कहा कि ओलावृष्टि के कारण जो कटा हुआ गेंहू भीग गया है, उसे उलट-पुलट कर अच्छे से सुखाएं और फिर उसके बाद मड़ाई करें.इससे काफी हद तक उत्पादन और गुणवत्ता को बचाया जा सकता है. पर गेहूं की चमक जरूर फीकी पड़ेगी. चमक कम होने के कारण इसकी कीमतों में 200-300 रुपए तक की कमी हो सकती है.
इसके अलावा जो गेहूं ओलावृष्टि की मार के कारण खेतों में बिछ गया है, उसे सीधा करें ताकि फसल में अच्छे से हवा लग सकें. वही जो खेतों में हरा गेंहू बिछ गया है उसे भी किसान सीधा करे ताकि हवा लगे. इस तरह से करने पर नुकसान को 15 फीसदी तक कम हो सकता है. वहीं जो गेहूं अभी खड़ी अवस्था में है उसका उत्पादन अच्छा होने की उम्मीद है.वहीं कृषि विभाग के एसडीओ बीएस देवड़ा ने किसान तक को फोन पर जानकारी देते हुए कहा कि 20 से 25 प्रतिशत गेहूं खेतों में कटा पड़ा है. भीग जाने से उसकी चमक कम हो जाएगी उत्पादन पर भी असर पड़ेगा, चमक कम होने से दाम भी काम मिलेगा.