ओडिशा के किसान इन दिनों बेहद परेशान हैं. एक तरफ जहां भारी बारिश के कारण बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई है. इसके चलते धान और सब्जियों की खड़ी फसलों को नुकसान हुआ है, वहीं दूसरी तरफ पानी की कमी के कारण कई जिलों में सिंचाई का संकट पैदा हो गया है. जबकि इन सबके बीच सुंदरगढ़ जिले के लेफ्रीपाड़ा प्रखंड में धान की खेती पर कीट का प्रकोप फैल गया है. प्रखंड के धान के खेत कैटरपिलर के झुंड की चपेट में आ गए हैं. इनके प्रसार को रोकने के लिए कृषि विभाग के अधिकारियों को काफी मेहनत करनी पड़ रही है.
बताया जा रहा है कि जिले में पिछले कुछ दिनों से लगातार हो रही बारिश के कारण बादल छाए हुए हैं इसके चलते 375 एकड़ खेत में फसलों को नुकसान हुआ है साथ ही गिरिंगकेला और डुमाबहल ग्राम पंचायतों में धान के पौधे वाले खेत में गुरुवार से कीटों का प्रकोप फैल गया है. द न्यू इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक सुंदरगढ़ जिले के जिला कृषि पदाधिकारी हरिहर नाइक ने कहा कि कीट के प्रकोप से चिंता करने वाली कोई बात नहीं है क्योंकि प्रभावित किसानों को सब्सिडी वाले कीटनाशक उपलब्ध कराए गए हैं और साथ ही उन्हें कीट नियंत्रण के प्रभावी उपायों के बारे में प्रशिक्षण दिया गया है.
जिला कृषि पदाधिकारी हरिहर नाइक ने बताया कि बड़ी संख्या में झुंड में रहनेवाले कैटरपिलर पास के सागौन के बगानों और जंगलों से बारिश के पानी में बहकर आ गए हैं. उन्होंने यह भी कहा की सूरज की रोशनी के संपर्क में आने से सभी कैटरपिलर स्वाभाविक रुप से मर जाएंगे, इसके लिए कीटनाशकों के प्रयोग की जरूरत नहीं पड़ेगी. वहीं जिले में एक और संकट का सामना किसानों को करना पड़ रहा है. यहां पर किसानों को यूरिया खाद की भारी कमी का सामना करना पड़ रहा है. सब्सिडी वाले यूरिया खरीदने के लिए जिले के किसान क्षेत्रीय सहकारी विपणन समिति के वितरण केंद्र के सामने लंबी कतारों में इंतजार करते देखे जा सकते हैं.
स्थानीय लोगों के मुताबिक इस बार मॉनसून में देरी के कारण धान की खेती का कार्य जिले में समय से पीछे चल रहा है, ऐसे में जब बारिश हुई है तो किसान जोर-शोर से कृषि कार्य में लगे हुए हैं. काम जोरो पर है तो यूरिया खाद की मांग भी अधिक हैं पर उसके अनुरुप यूरिया की सप्लाई कम हैं. इसके कारण किसानों को परेशानी हो रही है. आंकड़ों के मुताबित सुंदरगढ़ जिले को 38,963 टन खाद की जरूरत है पर अब तक मात्र 3000 टन यूरिया सहित 10,000 टन से कम खाद की आपूर्ति की गई है. जबकि मांग केवल यूरिया की है. दूसरे खाद की कोई मांग नहीं है.