
झारखंड के रामगढ़ जिले में साइक्लोन मोंथा और जंगली हाथियों के हुडदंग ने किसानों को लाचार कर दिया है. जिले के कई किसानों की फसलें बर्बाद हो गई है. बर्बाद हुई फसलों में खासकर धान और आलू की फसल है, जो बड़ी मात्रा में बर्बाद हो गई है. किसानों ने बताया कि हमने कर्ज लेकर फसल लगाई थी, जो अब पूरी तरह से नष्ट हो गई हैं. दरअसल, रामगढ़ जिले में साइक्लोन मोंथा के चलते बेमौसम बारिश ने किसान के खेतों में लगे धान की फसल को काफी नुकसान पहुंचाया है.
किसानों के बड़े पैमाने पर खेतों में लगे धान की फसल पानी मे डूबकर जमीन पर बिछ गई है. जिले में एक ओर जहां साइक्लोन मोंथा ने किसानों के पर कहर बरपाया ही तो वहीं दूसरी ओर रही-सही कसर जंगली हाथियों की झुंड ने पूरी कर दी. किसानों की फसल को खाकर और रौंदकर उनकी कमर को भी तोड़ दी है.
पिछले एक सप्ताह से जंगली हाथियों का झुंड रामगढ़ जिले के ग्रामीण क्षेत्र में घूम रहा है. आए दिन जंगली हाथियों का झुंड गांवों में घुस रहा है. हाथी रात में खेतों में लगे फसल खा रहे हैं.
इस बीच, देर रात जंगली हाथियों के झुंड ने कुजू ओपी क्षेत्र के मुरपा गांव में दर्जनों किसानों के खेत में लगे आलू और धान के फसल को नष्ट कर दिया है. यही नहीं मंगलवार की देर रात घाटों ओपी क्षेत्र के परसा बेड़ा में एक हाथी घर में घुसकर संजू देवी महिला को कुचल कर मार डाला. हालांकि, वन विभाग ने जंगली हाथियों को गांवों से भगाने के लिए क्यूआरटी भी लगा रखी है, लेकिन ये ये टीम नाकाफी साबित हो रही है.
साइक्लोन मोंथा के साथ-साथ जंगली हाथियों के कहर ने किसानों को लाचार कर दिया है. अब इन किसानों की निगाहें सिर्फ सरकार की ओर हैं कि कब सरकार की इनकी ओर देखगे और मदद का हाथ बढ़ाएगी और नष्ट हुई फसलों का मुआवजा देगी.
इधर, रामगढ़ जिले के मांडू प्रखंड के चैनपुर गांव में एक जंगली हाथी के नन्हे बच्चे का वीडियो सामने आया. हाथी का बच्चा अपने झुंड से बिछड़ कर मांडू प्रखंड के चैनपुर गांव पहुंच गया, जिसे देखने के लिए भीड़ उमड़ पड़ी. लोगों ने नन्हे हाथी को जंगल ले जाकर छोड़ दिया, जहां वह छोटी सी नदी पार करते हुए अपने झुंड में जाकर मिल गया.
जंगल जाने के दौरान नन्हा हाथी कई बार पीछे मुड़कर लोगों को देखता रहा, मानो वह लोगों का शुक्रिया अदा कर रहा हो. दरअसल, पिछले तीन चार दिन से मांडू प्रखंड के आस पास गांवों में एक जंगली हाथियों का झुंड विचरण कर रहा है. जिसमें से यह नन्हा हाथी बिछड़कर गांव पहुंच गया था.