 कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान
कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहानकृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) को लेकर एक बड़ा फैसला लिया है. कृषि मंत्री ने बिक्री की अर्थव्यवस्था और बुनियादी ढांचा को बढ़ावा देने के लिए वित्त वर्ष 2026 तक कम से कम 5,000 FPO का वार्षिक बिक्री कारोबार एक करोड़ रुपये से अधिक करने का आह्वान किया है. शिवराज सिंह चौहान ने ये बातें राष्ट्रीय एफपीओ सम्मेलन 2025 का उद्घाटन करने के बाद कहा. उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष 2026 के अंत तक 10,000 किसान समूहों में से कम से कम 50 फीसदी का बिक्री कारोबार 1 करोड़ रुपये को पार कर जाना चाहिए, जबकि अगले वित्त वर्ष में हम सभी समूहों को 1 करोड़ रुपये की बिक्री का लक्ष्य दे सकते हैं.
शिवराज सिंह चौहान ने सामूहिक रूप से वित्त वर्ष 2026 के अंत तक 50 लाख के वर्तमान स्तर से 2 करोड़ से अधिक किसानों को शेयरधारकों के रूप में नामांकित करने का भी आह्वान किया है. वित्त वर्ष 2021 में शुरू की गई विशेष प्रोत्साहन योजना के तहत स्थापित 10,000 से अधिक FPO में से 340 एफपीओ ने 10 करोड़ रुपये का बिक्री कारोबार पार कर लिया है, जबकि 1100 से अधिक FPO ने वित्त वर्ष 2025 में 1 करोड़ रुपये से अधिक की बिक्री की सूचना दी है.
कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, इन किसान समूहों का कारोबार 16,700 करोड़ रुपये को पार कर गया है. कृषि मंत्री ने यह भी सुझाव दिया कि प्रत्येक एफपीओ को बीज, उर्वरक और कीटनाशकों की बिक्री और वितरण के लिए लाइसेंस प्राप्त होना चाहिए ताकि सामूहिक लाभ अर्जित किया जा सके. साथ ही किसानों को कंपनियों से उचित मूल्य पर ये इनपुट मिल सके. उन्होंने कहा कि प्रत्येक जिले में अमूल मॉडल की तर्ज पर एक प्रमुख किसान स्वामित्व वाला संगठन उभरना चाहिए.
व्यावसायिक संभावनाओं को बढ़ावा देने के लिए, एफपीओ को अलग-अलग इनपुट लाइसेंस और बीज (6046), कीटनाशक (4246) और उर्वरक (5709) में डीलरशिप दी जा रही हैं. इससे उन्हें इनपुट व्यवसाय चलाने और वित्तीय अर्थव्यवस्था में सुधार करने में मदद मिलेगी.
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इन सामूहिक संगठनों, जिनमें 50 लाख से ज़्यादा किसानों की हिस्सेदारी है, वो वित्तीय सहायता और विपणन सहायता वित्त वर्ष 27 तक जारी रहेगी. इस योजना के तहत ज़्यादातर एफपीओ पिछले कुछ वर्षों में बनाए गए हैं. उच्च वृद्धि वाले एफपीओ ने ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स (ओएनडीसी), इलेक्ट्रॉनिक राष्ट्रीय कृषि बाजार (ई-एनएएम) और सरकारी ई-मार्केटप्लेस (जीईएम) जैसे सरकारी प्लेटफार्मों का अच्छा उपयोग करके अपनी प्रोफाइल को बढ़ाया है. पिछले पांच वर्षों में केंद्रीय क्षेत्र योजना के माध्यम से गठित कई किसान समूहों ने अपने कारोबार को बढ़ावा देने के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के तहत तिलहन, दलहन और अनाज की खरीद भी की है.
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