झारखंड में मौसम विभाग ने अगले दो से तीन दिनों तक अच्छी बारिश की भविष्यणावी की है. विभाग के अनुसार राज्य के सभी जिलों में अच्छी बारिश होने की संभावना है. पर इन संभावनाओं के बीच किसानों की परेशानी उनके चेहरे पर साफ तौर पर दिखाई दे रही है. लगातार दो साल तक गंभीर सूखे का सामना कर चुके किसानों को इस बार भी यह डर सता रहा है कि अगर एक सप्ताह के अंदर अच्छी बारिश नहीं होती है तो फिर उनकी धान की खेती चौपट हो जाएगी. उनकी मेहनत बेकार हो जाएगी और लागत के मुताबिक धान की पैदावार नहीं हो पाएगी. राज्य में धान की खेती का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 26 जुलाई तक चार जिलों में धान की रोपाई शुरू भी नहीं हुई है.
झारखंड के आसमान में बादल तो घुमड़ रहे हैं पर बरस नहीं पा रहे हैं. जुलाई का महीना अब खत्म होने वाला है पर अभी भी खेत सूखे हुए हैं. तालाब और कुओं में पानी नहीं भरा है. जिनके पास सिंचाई करने की सुविधा है, वे किसान किसी तरह से सिंचाई करके धान की रोपाई कर रहे हैं. जिनके पास सिंचाई के साधन नहीं है, वे नर्सरी में धान के पौधों को खराब होते हुए देख रहे हैं. झारखंड पठारी इलाका है. यहां पर दो तरह की जमीन है. जिन किसानों के पास निचली जमीन है, वे तो धान की रोपाई किसी तरह कर रहे हैं पर जिन किसानों के पास ऊपरी जमीन है, उनके खेत आज भी सूखे पड़े हैं.
ये भी पढ़ेंः भारी बारिश से धान के रकबे में गिरावट, जानें कपास, दलहन और तिलहन की अभी तक कितनी हुई बुवाई
राज्य में अब तक हुए बारिश के आंकड़े भी चिंताजनक हैं. मौसम विभाग की तरफ से 28 जुलाई को जारी की गई रिपोर्ट के अनुसार झारखंड में अब तक सामान्य तौर पर 478.3 मिमी वर्षा होती है. लेकिन इस बार एक जून से 28 जुलाई तक मात्र 273 मिमी बारिश हुई है. इस तरह से झारखंड में अभी भी सामान्य से 43 फीसदी कम बारिश हुई है. पिछले एक सप्ताह के दौरान हुई बारिश के कारण यह आंकड़ा आया है. रांची जिले की बात करें तो यहां सामान्य रूप से 493.9 मिमी बारिश होनी चाहिए थी पर अभी तक मात्र 328.3 मिमी बारिश ही हुई है. इसका सीधा असर धान की खेती पर पड़ रहा है क्योंकि जहां पहले जुलाई के अंत तक किसान धान की रोपाई खत्म कर देते थे. वहीं इस बार किसानों ने धान की रोपाई तक नहीं शुरू की है.
बारिश नहीं होने के कारण अब किसानों को यह डर सता रहा है कि अगर इस बार भी यही स्थिति रही तो वे अपने परिवार का भरण पोषण कैसे कर पाएंगे. राज्य में आज भी 80 प्रतिशत ऐसे किसान हैं जो सिंचाई के लिए बारिश के पानी पर निर्भर हैं. वर्षा आधारित खेती करते हैं. कम बारिश के कारण अब किसान खेती नहीं कर पा रहे हैं और सरकारी योजनाओं का लाभ भी नहीं ले पा रहे हैं. पहले जो किसान 10 एकड़ में धान की खेती करते थे, आज वे किसान बहुत मुश्किल से 2 से तीन एकड़ जमीन में खेती कर पा रहे हैं. पूरे साल उनकी जमीन खाली रह जा रही है. जमीन रहते किसान खेती नहीं कर पा रहे हैं.
रांची जिले के बुढ़मू प्रखंड के बेड़वारी गांव के किसान अजय शाहदेव ने बताया कि धान की रोपाई करने के लिए उनकी नर्सरी में पौधा तैयार होकर पुराना हो रहा है. बारिश नहीं होने के कारण खेत तैयार नहीं कर पा रहे हैं. उन्होंने कहा कि इस बार भी अब किसानों की उम्मीद टूट रही है क्योंकि मुख्य समय पार हो रहा है. अब धान की रोपाई करने पर भी उत्पादन उतना नहीं मिल पाएगा जितना होता है. उन्होंने कहा कि पूरे बुढ़मू प्रखंड के सभी गांवों की स्थिति एक जैसी है. कहीं-कहीं पर किसान सिंचाई करके खेत तैयार कर रहे हैं. खेत में नमी नहीं होने के कारण सिंचाई करने के बाद भी खेत तुरंत सूख जा रहा है.
ये भी पढ़ेंः झारखंड में कम बारिश से खरीफ फसलों की खेती प्रभावित, सिर्फ 5.59 लाख हेक्टेयर में बुवाई, उपज में गिरावट की आशंका
मांडर प्रखंड चुंद गांव के किसान रामहरी उरांव ने बताया कि निचली जमीन पर वे किसी तरह सिंचाई करके खेती तो कर रहे हैं. लेकिन जो ऊपरी जमीन है वह पूरी तरह इस बार खाली ही रहेगी. ऊपरी जमीन के लिए उन्होंने नर्सरी भी तैयार नहीं की है. उन्होंने बताया कि किसी तरह घर के खाने के लिए तो धान की पैदावार हो जाएगी लेकिन इस बार बेच नहीं पाएंगे. फिर बाकी जरूरतों के लिए मजदूरी का काम करना होगा. मांडर प्रखंड के भी लगभग सभी गांवों की स्थिति यही है. जुलाई बीतने वाला है पर अभी खेत सूखे ही पड़े हैं. इसके कारण कई ऐसे किसान हैं जो खेती छोड़ने की बात कर रहे हैं.
झारखंड में 28.27 लाख हेक्टेयर में खरीफ फसलों की खेती की जाती है. इसमें से धान की खेती 18 लाख हेक्टेयर में करने का लक्ष्य रखा जाता है. पर विभाग की तरफ से जारी आंकड़ों के अनुसार अभी तक सिर्फ 5.59 लाख हेक्टेयर में ही खरीफ फसलों की बुवाई हो पाई है. इनमें धान के अलावा, मक्का, तिहलन और दलहनी फसलें हैं. कम बारिश के कारण आज भी राज्य के 86 फीसदी खेत खाली है. झारखंड में हो रही कम बारिश को लेकर झारखंड किसान महासभा के कार्यकारी अध्यक्ष पंकज राय में कहा कि झारखंड के किसान लगातार चौथे साल मॉनसून की बेरुखी झेल रहे हैं.
ये भी पढ़ेंः Tomato Price: बाजार से सस्ता टमाटर बेचने के लिए देर से जागा NCCF? पिछले साल पड़ोसी देश से मंगाना पड़ा था
इसके पीछे की वजह कहीं न कहीं बड़ी संख्या में पेड़ों का काटा जाना भी है. सड़क और विकास परियोजनाओं के नाम पर पेड़ काटे जा रहे हैं. पंकज राय ने कहा कि किसान महासभा विकास विरोधी नहीं है पर विकास का खामियाजा सिर्फ किसान ही क्यों भुगते. उन्होंने कहा कि जल्द ही सड़क के लिए पेड़ों की कटाई रोकने और इसकी वैकल्पिक व्यवस्था करने की मांग को लेकर 10 हजार किसानों का हस्ताक्षर किया हुआ पत्र केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी को भेजा जाएगा.