झारखंड में मॉनसून की बेरुखी के चलते धान की रोपाई पर बुरा असर पड़ा है. समय पर बारिश का पानी न मिलने से 4 जिलों के किसान अभी तक धान की रोपाई नहीं कर सके हैं. इसके चलते सिर्फ 5.59 लाख हेक्टेयर में ही बुवाई हो पाई है, जबकि झारखंड में खरीफ सीजन में 28.27 लाख हेक्टेयर में खरीफ फसलों की खेती का लक्ष्य है. हालांकि, 2 दिन से राज्य में हो रही बारिश से किसानों को थोड़ी उम्मीद जरूर है, लेकिन इसे आगे भी बरसना होगा. ताकि फसल की उपज प्रभावित न हो.
इस बार राज्य में अब तक सामान्य से 47 फीसदी कम बारिश हुई है. हालांकि, पिछले दो-तीन दिनों से अच्छी बारिश हो रही है. कई जिलों में हुई बारिश ने किसानों के चेहरे पर मुस्कान वापस लाने का काम किया है. मौसम विभाग के अनुसार अगले कुछ दिनों के तक झारखंड के कई जिलों में अच्छी बारिश होने की संभावना है. विभाग ने कहा है कि रांची के ऊपर से एक मॉनसून टर्फ गुजर रहा है साथ ही बंगाल की खाड़ी में एक लो प्रेशर एरिया बना हुआ है. इससे राज्य में अच्छी बारिश होने की उम्मीद है. यह बारिश झारखंड के किसानों के लिए काफी फायदेमंद मानी जा रही है. क्योंकि
झारखंड में हुई कम बारिश का सीधा असर यहां धान की खेती पर पड़ा है. कम बारिश के राज्य अभी भी राज्य के 86 फीसदी खेत खाली पड़े हुए हैं. कृषि विभाग की तरफ से मिली जानकारी के अनुसार राज्य के 24 में से चार जिले ऐसे हैं जहां पर अभी तक धान की रोपाई भी शुरू नहीं हुई है. जबकि धान की बुवाई का सही समय इस सप्ताह खत्म हो जाएगा. मौसम विभाग की तरफ से 26 जुलाई तक के लिए जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार राज्य में अभी तक सामान्य से 47 फीसदी कम बारिश हुई है. इसके कारण चिंतित हैं और उन्हें राज्य में एक बार फिर से सूखे का डर सता रहा है.
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राज्य सरकार ने 2023 में 17 जिलों के 158 ब्लॉकों को सूखा प्रभावित घोषित किया था, जबकि 2022 में 226 सूखा घोषित किए गए थे. कृषि विभाग की तरफ से जारी किए गए रिपोर्ट के अनुसार 26 जुलाई राज्य में मात्र 2.43 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में खेती हुई है. जो कि कृषि योग्य भूमि का केवल 13.53 प्रतिशत है. जबकि इस खरीफ सीजन में 18 लाख हेक्टेयर में खेती करने का लक्ष्य रखा गया है. पलामू, लातेहार, चतरा और देवघर जिले में धान की रोपनी शुरू नहीं हो सकी है. राज्य में खरीफ से सीजन में मक्का, दलहन, तिलहन और मोटे अनाज की खेती की जाती है. मक्का को छोड़कर दूसरे अन्य खरीफ फसलों की बुवाई की स्थिति भी अच्छी नहीं है.
झारखंड में खरीफ सीजन में 28.27 लाख हेक्टेयर में खरीफ फसलों की खेती का लक्ष्य है. इसके मुकाबले राज्य में अब तक मात्र 5.59 लाख हेक्टेयर में खरीफ फसलों की बुवाई की गई है. जो राज्य में कृषि योग्य भूमि का 19.77 प्रतिशत है. राज्य में बारिश और कृषि कि स्थिति को देखते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अधिकारियों के साथ बैठक की थी और कम बारिश के कारण कृषि पर हुए प्रभाव का आकलन करने के निर्देश दिए हैं. वहीं कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि 20 जुलाई तक का समय धान की रोपाई के लिए सबसे उपयुक्त होता है. बहुत अधिक देरी होने पर 30 जुलाई तक किसान धान की रोपाई कर सकते हैं पर इसके बाद देर हो जाती है और उत्पादन पर इसका असर पड़ता है.
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पीटीआई के अनुसार बिरसा कृषि विश्वविद्यालय (बीएयू), रांची के निदेशक अनुसंधान पीके सिंह ने कहा कि बारिश का पैटर्न बदल रहा है और साथ ही बुआई का पैटर्न भी बदल रहा है. अगर हम पिछले पांच सालों के बारिश के पैटर्न का अध्ययन करें, तो हम कह सकते हैं कि स्थिति अभी भी चिंताजनक नहीं है. हमें आठ से दस दिन और इंतजार करना चाहिए. पिछली रात हुई बारिश ने किसानों को काफी राहत दी है. पी के सिंह ने कहा कि मौसम की जो मौजूदा स्थिति है उसके अनुसार किसानों को धान की सीधी बुवाई करनी चाहिए.
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