हरियाणा में एक हफ्ते के बाद भी सरकारी एजेंसियों ने गेहूं की खरीद शुरू नहीं की है. इसके पीछे गेहूं की नमी को वजह माना जा रहा है. हालिया बारिश में गेहूं भीगने से उसमें नमी की मात्रा बढ़ गई है. गेहूं में नमी ज्यादा होने से सरकारी एजेंसियां एक भी दाना नहीं खरीद पाई हैं. इस तरह हरियाणा के किसानों को अभी दोहरी मार झेलनी पड़ रही है. एक तो बारिश और दूसरा नमी की वजह से फसल का नहीं बिकना. किसान अब समझ नहीं पा रहे कि वे क्या करें. किसान इस चिंता में भी पड़े हैं कि फसल नुकसान का मुआवजा कब तक मिलेगा.
हरियाणा सरकार ने एक अप्रैल से गेहूं की सरकारी खरीद शुरू कर दी है. आलम ये है कि सात अप्रैल तक रोहतक की अनाज मंडी में किसी भी किसान की गेहूं की सरकारी खरीद नहीं हो पाई है. लगातार एक हफ्ते से किसान अपनी फसल को लेकर मंडी में पहुंच रहे हैं. मगर सरकारी एजेंसियों ने उनकी उपज इसलिए खरीदने से मना कर दिया क्योंकि उपज में नमी की मात्रा अधिक पाई जाती है.
हरियाणा और केंद्र सरकार की एजेंसियों को गेहूं खरीदी के लिए चिन्हित किया गया है. लेकिन अभी तक खरीद शुरू नहीं हुई है जिससे किसान काफी हताश और परेशान नजर आ रहे हैं. रोहतक जिले की बात करें तो पिछले साल गेहूं की आवक करीब 16 लाख क्विंटल थी. इस बार भी मार्केट कमेटी को मंडियों में इतने ही गेहूं आने की उम्मीद है.
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किसानों का कहना है कि बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से उनकी उपज बड़ी मात्रा में घटने की आशंका है. पहले जहां एक एकड़ में 60 मन (24 क्विंटल) गेहूं की पैदावार होती थी, मगर खराबे के कारण 20 से 30 मन (12 से 14 क्विंटल) गेहूं की ही पैदावार होगी. इससे किसान की लागत भी पूरी नहीं होगी. किसानों का कहना है कि वे बड़ी मेहनत से फसल तैयार कर मंडी में लाते हैं, लेकिन मंडी में खरीदने वाला कोई नहीं है. सरकार के फसल खरीद के दावे खोखले हैं. रोहतक के किसान कहते हैं, आज गेहूं की खरीद को सात दिन हो गए हैं, लेकिन कोई भी सरकारी एजेंसी उपज नहीं खरीद रही है.
किसानों की शिकायत है कि सरकारी एजेंसियां नमी बता कर गेहूं खरीदने से इनकार कर रही हैं. यही हाल सरसों का है जिसमें नमी बता कर सरकारी खरीद नहीं हो रही है. किसानों के खाते से प्रधानमंत्री फसल बीमा की राशि काट ली जाती है, लेकिन नुकसान होने पर कोई मुआवजा नहीं दिया जाता. पिछले साल के गेहूं खराबे का भी आज तक किसान को मुआवजा नहीं मिला है. एक किसान ने कहा, 'इस सरकार से कोई उम्मीद नहीं है. कोई भी अधिकारी खेतों में नुकसान का जायजा लेने नहीं आया जबकि सरकार गिरदावरी की बात कर रही है'.
'आजतक' से बातचीत में कई किसानों ने कहा कि खेती करना बहुत मंहगा हो गया. खाद, बीज, कीटनाशक, डीजल का रेट बहुत ज्यादा बढ़ गया है. किसान के लिए खेती करना घाटे का सौदा हो गया है. खेती की लागत भी पूरी नहीं निकल पा रही. किसान ठेके पर भी जमीन लेकर खेती करता है. आज वही किसान अपनी फसल के बिकने का इंतजार कर रहे हैं. किसानों की शिकायत है कि सरकार ने उनकी हालत खस्ता कर दी है. किसान कम दाम पर फसल बेचने को मजबूर हो गए हैं.
वहीं रोहतक अनाज मंडी के मार्केट कमेटी सचिव देवेंद्र कुमार ढुल ने बताया कि प्रदेश सरकार ने एक अप्रैल से गेहूं की खरीद शुरू कर दी है. हरियाणा में तीन प्रदेश सरकार की और एक केंद्र सरकार की एजेंसी गेहूं की खरीद करेगी. आज तक चार सौ क्विंटल गेहूं मंडी में पहुंचा है. आज (शुक्रवार) नब्बे क्विंटल के गेट पास बने हैं. मगर अभी तक कोई सरकारी एजेंसी गेहूं की खरीद नहीं कर पाई है. गेहूं में नमी की मात्रा अधिक बताकर सरकारी एजेसियों ने खरीद शुरू नहीं की है.
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रोहतक जिले में पिछले साल गेहूं की आवक 16 लाख क्विंटल थी. इस बार बेमौसमी बारिश और ओलावृष्टि से गेहूं की पैदावार में असर पड़ेगा. कृषि विभाग के अनुसार बेमौसमी बारिश और ओलावृष्टि से खराब हुई फसलों की गिरदावरी के लिए कृषि विभाग और रेवेन्यू विभाग के अधिकारी, कर्मचारी लगे हुए हैं. सरकार को खराब फसल की रिपोर्ट 10 अप्रैल तक भेजनी है ताकि किसानों को मुआवजा दिया जा सके. अब तक प्रधानमंत्री फसल बीमे के मुआवजे के लिए 3700 किसानों ने अप्लाई किया है. बेमौसमी बारिश और ओले से गेहूं, सरसों की फसल खराब का आंकड़ा जुटाया जा रहा है.