सिरसा में घग्गर नदी के पानी की वजह से किसानों की चिंता बढ़ गई है. नदी में अभी सिर्फ 8,000 क्यूसेक पानी बह रहा है, जो इसकी क्षमता का आधा भी नहीं है, जबकि इसकी कैपेसिटी 20,000 क्यूसेक पानी की है. लेकिन, तटबंध टूटने और दो बड़ी नहरों में दरार पड़ने से गांवों और खेतों में पानी घुस रहा है. ऐसे में किसान अपने खेतों की चौकीदारी खुद कर रहे हैं. प्रशासन की पूरी तैयारी के दावे महज कागजी दिखाई दे रहे हैं. यह स्थिति तब है, जब जिला प्रशासन ने घग्गर नदी से आने वाली संभावित बाढ़ को लेकर पूरी तैयारी और चाक-चौबंद का आश्वासन दिया था. लेकिन तीन दिन में ही इस दावे की पोल खुल गई और दो बड़ी नहरों में दरारें पड़ गईं.
‘दि ट्रिब्यून’ की रिपोर्ट के मुताबिक, जिले में करीब 2 हजार एकड़ फसल जलमग्न हो गई. गुरुवार को कुट्टाबाद के पास SGC नहर टूटने से 500 एकड़ खेत जलमग्न हो गए, जबकि शुक्रवार को ढोटर और खरिया के बीच जीबीएमएस खरीफ चैनल फट गया और 1500 एकड़ फसलें पानी में समा गईं. इसमें सड़क का हिस्सा भी पानी में बह गया और एक बाइक सवार की हादसे में जान चली गई. किसान महेन्द्र सिंह और राजाराम ने आरोप लगाया कि नहरों की मरम्मत के नाम पर बस ऊपर-ऊपर सफाई की गई है. जानवरों के बिल और कमजोर मिट्टी वाले तट वैसे ही छोड़ दिए गए.
एक किसान ने कहा कि सरकार ने पैसे बहाए जरूर हैं, लेकिन पानी रोकने के लिए नहीं. रिपोर्ट के मुताबिक, जिले में मनरेगा के तहत 4.64 करोड़ रुपये खर्चकर घग्गर नदी की बाढ़ से गांवों को बचाने के लिए व्यवस्थाएं और तैयारियां की गई. लेकिन दिशा समिति की मीटिंग में जो तस्वीरें सामने आईं, उन्होंने हकीकत दिखा दी. तस्वीरों में देखा गया कि नहरों के किनारे अब भी घनी झाड़ियां, पानी की राह में रुकावट बनी हुई है.
वहीं, नहरों में दरार को लेकर अफसर दे रहे हैं कि पेड़ों की जड़ें और तटबंधों की मिट्टी की संरचना के कारण पानी का रिसाव होता है. पिछले दो महीनों में नहरों से सैकड़ों अवैध पाइप हटाए जा चुके हैं, लेकिन जमीन को ठीक से भरने का काम नहीं किया गया, जिसकी वजह से तटबंध और कमजोर हो गए. अब, सिंचाई विभाग ने निगरानी दल बनाए हैं और कर्मचारियों की छुट्टियां कैंसिल कर दी है.
कार्यकारी अभियंता संदीप शर्मा ने स्वीकार किया कि भले ही सफाई का काम मनरेगा के तहत किया गया था, लेकिन पेड़ों की जड़ों से होने वाले रिसाव के कारण नहर में कुछ दरारें आईं. वहीं, सांसद कुमारी शैलजा ने भी मामले को लेकर सिंचाई विभाग पर जोरदार हमला बोला और कहा कि वह महीनों से चेतावनी दे रही थी, लेकिन कोई सुनने को तैयार नहीं था.