ऐसा लगता है कि कर्नाटक के किसान अब खेती के तौर-तरीकों को बदल रहे हैं. राज्य कृषि विभाग की तरफ से आए आंकड़ों से तो कम से कम इसी तरफ इशारा मिलता है. इस साल खरीफ फसल के मौसम में किसानों ने मक्का और कपास को प्रयॉरिटी दी और इनका रकबा बढ़ गया है. जबकि दालों का क्षेत्रफल इस बार पिछड़ गया है. वहीं किसान अब कपास जैसी फसल को प्राथमिकता दे रहे हैं तो दाल से पीछे हट रहे हैं. पिछले दिनों आई राज्य कृषि विभाग की एक रिपोर्ट में कई अहम जाकारियां सामने आई हैं. रिपोर्ट में पांच जुलाई तक के आंकड़ें दिए गए हैं.
फसल बुवाई आंकड़ों के अनुसार, 5 जुलाई तक कुल 50.57 लाख हेक्टेयर (एलएच) कई खरीफ फसलों को बोया गया है. खरीफ 2025 फसल मौसम के लिए सरकार ने 82.50 एलएच का लक्ष्य तय किया था और आंकड़ा उससे 61 फीसदी ज्यादा है. राज्य में 1 जून से 5 जुलाई के दौरान 252 मिमी बारिश हुई है. यह सामान्य 241 मिमी बारिश के मुकाबले 4 प्रतिशत अधिक है. माना जा रहा है कि इस वजह से ही आंकड़ों में ये इजाफा देखने को मिल रहा है.
किसानों ने मक्का और कपास जैसी बाकी नकदी फसलों को प्राथमिकता देनी शुरू कर दी है. अनाजों में, मक्का सबसे अधिक फायदे में रहा है जिसका रकबा 13.98 एलएच तक पहुंच गया है. यह एक साल पहले 12.20 एलएच से 14.6 प्रतिशत ज्यादा है. मक्का का रकबा सामान्य कवरेज 8.32 एलएच से 68 प्रतिशत ज्यादा हो गया है. वहीं धान, ज्वार, बाजरा, रागी और छोटे बाजरे जैसे अन्य अनाज पीछे चल रहे हैं.
दालों के रकबे में साल-दर-साल कुल 13 प्रतिशत की गिरावट आई है. ज्यादा सप्लाई की वजह से पिछले एक साल में दालों की कीमतों में जो उतार-चढ़ाव हुआ है, उसका असर इस खरीफ सीजन की बुवाई के पैटर्न पर पड़ा है. अरहर या तुअर की बुवाई का रकबा 5 जुलाई तक 21 प्रतिशत घटकर 9.88 लाख हेक्टेयर रह गया है. जबकि पिछले साल इसी अवधि में यह 12.50 लाख हेक्टेयर था. हालांकि, तुअर की बुवाई का रकबा 6.71 लाख हेक्टेयर की सामान्य स्थिति से 47 प्रतिशत ज्यादा है. उड़द का रकबा 0.87 लाख हेक्टेयर पर स्थिर है जबकि मूंग का रकबा 4.04 लाख हेक्टेयर हो गया है. यह पिछले साल इसी अवधि में 3.93 लाख हेक्टेयर था यानी इसमें मामूली वृद्धि हुई है.
दालों की तरह राज्य में तिलहन का रकबा भी 5.61 लाख हेक्टेयर पर है और यह पिछले साल के 6.18 लाख हेक्टेयर की तुलना में कम है. 5 जुलाई तक मूंगफली का रकबा 1.06 लाख हेक्टेयर कम है. मटर के रकबे में 21 फीसदी की गिरावट हुई है और यह 4.18 लाख हेक्टेयर से घटकर 3.94 लाख हेक्टेयर पर आ गया है. हालांकि, कपास का रकबा 6.11 लाख हेक्टेयर (5.47 लाख हेक्टेयर) और गन्ना का रकबा 6.13 लाख हेक्टेयर तक बढ़ा है. वहीं तंबाकू का रकबा भी मामूली रूप से बढ़कर 0.77 लाख हेक्टेयर हो गया है.
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