Potato Farming: भारत में आलू की खेती... सही तापमान और नई किस्मों से बढ़ेगी उपज और मुनाफा

Potato Farming: भारत में आलू की खेती... सही तापमान और नई किस्मों से बढ़ेगी उपज और मुनाफा

तापमान और जलवायु आलू के उत्पादन को प्रभावित करने वाले मुख्य कारक हैं. आलू के अच्छे अंकुरण के लिए 24-25 डिग्री और उत्पादन और वानस्पतिक वृद्धि के लिए 18-20 डिग्री सेल्सियस का औसत तापमान अनुकूल होता है जबकि कंद निर्माण के लिए 17-20 डिग्री सेल्सियस जरूरी है. आलू की फसल कई जलवायु क्षेत्रों में सफलतापूर्वक उगाई जा सकती है.

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Potato Farming: भारत में आलू की खेती... सही तापमान और नई किस्मों से बढ़ेगी उपज और मुनाफाआलू की खेती के लिए तापमान से लेकर जलवायु तक बेहद अहम है

भारत में आलू एक प्रमुख खाद्य फसल है और इसकीर खेती देश के कई जलवायु क्षेत्रों में सफलतापूर्वक की जाती है. आलू जितनी आसानी से हर जगह मिलता है, इसकी खेती उतनी ही चुनौतीपूर्ण होती है. अगर किसान कुछ खास बातों का ध्‍यान न रखें तो उत्‍पादन चौपट हो सकता है. इसकी उत्पादकता और गुणवत्ता मुख्य रूप से तापमान और जलवायु पर निर्भर करती है. आलू की खेती मैदानी इलाकें में अक्‍टूबर से नवंबर में और पहाड़ी इलाकों में जनवरी से फरवरी और अप्रैल से लेकर जून तक की जाती है. 

किसानों को होगा बेहतर मुनाफा 

आलू की खेती के लिए सही तापमान अंकुरण, वेजिटेटिव ग्रोथ (वानस्पतिक वृद्धि) और कंद निर्माण सुनिश्चित करने से न सिर्फ उपज में वृद्धि होती है. बल्कि फसल की पोषण गुणवत्ता भी बेहतर होती है. आधुनिक कृषि अनुसंधान के परिणामस्वरूप अब जैव संवर्धित किस्में जैसे कुफरी जामुनिया किसानों को ज्‍यादा उपज और बेहतर पोषण देने का मौका प्रदान कर रही हैं. आज हम आपको आलू की खेती के लिए सही जलवायु, किस्मों का चयन, बुआई की विधि और नई प्रजातियों के बारे में बताते हैं जिनकी किस्‍में किसानों को बंपर मुनाफा मुहैया करा सकती हैं. 

खेती के लिए कैसा हो तापमान 

तापमान और जलवायु आलू के उत्पादन को प्रभावित करने वाले मुख्य कारक हैं. आलू के अच्छे अंकुरण के लिए 24-25 डिग्री और उत्पादन और वानस्पतिक वृद्धि के लिए 18-20 डिग्री सेल्सियस का औसत तापमान अनुकूल होता है जबकि कंद निर्माण के लिए 17-20 डिग्री सेल्सियस जरूरी है. आलू की फसल कई जलवायु क्षेत्रों में सफलतापूर्वक उगाई जा सकती है. बुआई से पहले बीज कंद को कोल्ड स्टोरेज से निकालकर 10-15 दिनों तक छायादार स्थान पर रखें. सड़े या अंकुरित न हुए कंद अलग कर दें. 

आलू की कम समय वाली किस्‍में 

कुफरी नीलकंठ, कुफरी सह्याद्रि, कुफरी करन, कुफरी ख्याति, कुफरी लवकार, कुफरी चन्द्रमुखी की बुआई 10 अक्टूबर तक और मध्यम अवधि किस्मेंः कुफरी ज्योति, कुफरी चिप्सोना-1, कुफरी चिप्सोना-3, कुफरी चिप्सोना-4, कुफरी फ्राइसोना एवं मध्यम-दीर्घ अवधि किस्मेंः कुफरी हिमसोना, कुफरी सिन्दूरी, : कुफरी शीतमान, कुफरी स्वर्ण एवं कुफरी गिरिराज आदि की बुआई 15 से 25 अक्टूबर तक जरूर कर लेनी चाहिए. 

जैव संवर्धित आलू की नई प्रजाति

एक मध्यम अवधि एवं अधिक उपज देने वाली नई उन्नत प्रजाति है. यह बुआई से लेकर कटाई तक करीब 90 दिनों में तैयार हो जाती है. इसकी औसत उपज 320-350 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है.  यह प्रजाति जैव संवर्धित है, इसमें पोषण की मात्रा ज्यादा है. विशेष तौर पर एंथोसायनिन उच्च मात्रा में होता है, जो इसके जीवंत बैंगनी गूदे में पाया जाने वाले शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट है. 

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