
बजट 2024 पेश हो चुका है. डेयरी-पोल्ट्री को राहत मिली है तो मछली और झींगा को रफ्तार भरने का मौका दिया गया है. खास बात ये है कि झींगा के लिए एक लम्बे वक्त से सरकार से डिमांड की जा रही थी. झींगा पालकों की वो डिमांड आज के बजट में सरकार ने पूरी करने की कोशिश की है. आपको बता दें कि सरकार ने बजट में झींगा पालकों को राहत देते हुए झींगा फीड और ब्रूडस्टॉक के आयात पर शुल्क में कमी करते हुए छूट दी है. वहीं फिश फीड पर भी आयात शुल्क घटाया गया है.
फिशरीज एक्सपर्ट इसे बड़ी राहत मान रहे हैं. दूसरी ओर सरकार ने एनिमल हसबेंडरी में इंफ्रास्ट्रक्चर डवलपमेंट फंड (IDF) को एक साल के लिए बढ़ा दिया है. इसीलिए कहा जा रहा है कि बजट में डेयरी को राहत मिली है तो झींगा-मछली को रफ्तार. सरकार के इस कदम से आम झींगा-मछली पालक और पशुपालक को क्या राहत मिलेगी इस बारे में एक्सपर्ट के हवाले से हम नीचे बताएंगे.
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झींगा एक्सपर्ट और झींगा पालक डॉ. मनोज शर्मा ने किसान तक को बताया कि सरकार ने बजट में झींगा फीड के आयात पर लगने वाले शुल्क को 15 फीसद से घटाकर पांच फीसद कर दिया है. वहीं ब्रूडस्टॉक आयात करने पर भी शुल्क में कमी करते हुए उसे 10 से पांच फीसद कर दिया है. ये सरकार की झींगा पालकों को बड़ी राहत है. सरकार का ये कदम झींगा उत्पादन को रफ्तार देगा. रफ्तार इस मायने में कि झींगा लागत की बात करें तो उसमे करीब 60 फीसद हिस्सा फीड का होता है. अब फीड पर 10 फीसद शुल्क की कमी होने से प्रति किलो झींगा पर करीब 15 से 20 रुपये किलो का अंतर आ जाएगा. इसी तरह से सरकार ने फिश फीड पर भी आयात शुल्क में छूट दी है. इसका घरेलू बाजार पर बड़ा अंतर दिखाई देगा.
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एनिमल न्यूट्रीशन एक्सपर्ट डॉ. दिनेश भोसले ने किसान तक को बताया कि सरकार ने बजट 2024 में एनिमल हसबेंडरी में चल रही योजना आईडीएफ को एक साल के लिए और बढ़ा दिया है. बजट में करीब 30 हजार करोड़ रुपये दिए गए हैं. सरकार की इस छूट से डेयरी में चारे की कमी को दूर किया जा सकेगा. पोल्ट्री फीड हो या दुधारू पशुओं के लिए चारा, प्लांट लगाकर खुद की जरूरत को पूरा करने के साथ ही बाकी के फीड और चारे को बाजार में भी बेचा जा सकेगा. छोटे पशुपालक और छोटे स्तर पर मुर्गीपालन करने वाले इस योजना का फायदा उठा सकते हैं. इस योजना से उनकी इनकम भी डबल होगी. वहीं छोटी प्रोसेसिंग यूनिट के लिए भी इस योजना का फायदा लिया जा सकता है.