महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता पृथ्वीराज चव्हाण ने पिछले दिनों एक इंटरव्यू में बताया है कि आखिर क्यों अभी तक महाविकास अघाड़ी (एमवीए) ने जल्द होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए अभी तक मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार के नाम का ऐलान क्यों नहीं किया है. उन्होंने साफ किया कि जब भी कांग्रेस विपक्षी गठबंधन में रही है तो विपक्ष में रहते हुए उन्होंने कभी भी सीएम पद का उम्मीदवार घोषित नहीं किया. आपको बता दें कि चुनाव आयोग ने पिछले दिनों सिर्फ जम्मू कश्मीर और हरियाणा में चुनावों की तारीखों का ऐलान किया था. माना जा रहा है आयोग अगले कुछ दिनों में महाराष्ट्र में चुनाव की तारीखों का ऐलान भी कर सकता है.
चव्हाण ने वेबसाइट फ्री प्रेस जर्नल को दिए इंटरव्यू में कहा कि विपक्ष में रहते हुए, समय से पहले सीएम उम्मीदवार का नाम घोषित करने से गठबंधन अस्थिर हो सकता है. उन्होंने आगे कहा कि यह फैसला लोकतांत्रिक तरीके से लिया जाएगा जिसमें गठबंधन में सबसे बड़ी पार्टी के मुख्यमंत्री पद पर बैठने की संभावना है. आखिरी फैसला दिल्ली में पार्टी नेतृत्व और महाराष्ट्र में गठबंधन सहयोगियों की मंजूरी के बाद लिया जाएगा.
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चव्हाण ने शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के दिल्ली जाकर कांग्रेस के शीर्ष नेताओं से सीएम पद के लिए चर्चा करने की अटकलों को भी खारिज कर दिया. उन्होंने इसे सिर्फ अफवाह करार दिया. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सीएम उम्मीदवार के चयन की प्रक्रिया पारदर्शी तरीके से और गठबंधन के लोकतांत्रिक सिद्धांतों के तहत ही होगी.
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चुनाव आयोग ने 16 अगस्त को जम्मू-कश्मीर और हरियाणा विधानसभाओं के लिए आम चुनावों के कार्यक्रम की घोषणा की थी. लेकिन आयोग ने महाराष्ट्र में चुनावों की तारीख पर कोई जानकारी नहीं दी. मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने बताया कि कई चुनौतियों की वजह से महाराष्ट्र के लिए घोषणा को टालना पड़ा. उन्होंने क्षेत्र में बहुत ज्यादा बारिश, गणपति और दिवाली के त्यौहारों को चुनौतियों के तौर पर गिनवाया.
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उनका कहना था कि इनकी वजह से सावधानी से योजना बनाने की जरूरत है. इसके अतिरिक्त, जम्मू-कश्मीर में कड़ी सुरक्षा की जरूरत ने भी तारीखों को जटिल बना दिया. मुख्य चुनाव आयुक्त का कहना था कि इस वजह से महाराष्ट्र के चुनाव की तारीखों की घोषणा बाद के चरण में करने का फैसला लिया गया.
राजीव कुमार ने साफ किया कि हालांकि हरियाणा और महाराष्ट्र की विधानसभाओं का कार्यकाल लगभग एक ही समय पर खत्म हो रहा है, लेकिन जम्मू-कश्मीर की खास स्थिति की वजह से एक अलग नजरिये की जरूरत है. साल 2019 में जम्मू-कश्मीर और हरियाणा के चुनाव एक साथ कराने का निर्णय भी वर्तमान चुनावी कार्यक्रम को तय करने में अहम था. महाराष्ट्र में विधानसभा का कार्यकाल 26 नवंबर को खत्म हो रहा है.