जम्मू कश्मीर में चुनाव का इंतजार आखिरकार खत्म हो गया है. शुक्रवार को चुनाव आयोग ने जम्मू कश्मीर में चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया है. राज्य में तीन चरणों में चुनाव होंगे और 18 सितंबर से इसका आगाज हो जाएगा. चुनाव आयोग के ऐलान के बाद यहां की पार्टियां उत्साहित हैं. नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) के मुखिया फारूख अब्दुल्ला ने राज्य में निष्पक्ष चुनाव होने की उम्मीद जताई है. पिछले दिनों उन्होंने चुनाव लड़ने का ऐलान किया था लेकिन यह नहीं बताया था कि वह किस जगह से चुनावी मैदान में उतरेंगे. उन्होंने अपने बेटे उमर अब्दुल्ला के चुनाव न लड़ने के फैसले के बारे में भी बताया है.
नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला ने कहा, 'मुझे हमेशा से उम्मीद थी कि चुनाव होंगे. राज्य में सरकार बने सालों हो गए हैं. लोगों के प्रतिनिधि होने चाहिए जो लोगों की समस्याओं का समाधान करें. अभी तक नेशनल कॉन्फ्रेंस अकेले ही चुनाव लड़ती रही है. बाकी, हमें नहीं पता कि दूसरी पार्टी क्या फैसला लेगी, क्या वे गठबंधन में चुनाव लड़ेंगे या नहीं.' पिछले दिनों चुनाव आयोग ने केंद्र शासित प्रदेश के प्रशासन से कहा है कि वह अपने गृह जिलों में तैनात अधिकारियों का ट्रांसफर कर दें. इस पर फारूख अब्दुल्ला ने प्रतिक्रिया दी और कहा उन्हें उम्मीद है कि राज्य में निष्पक्ष चुनाव होंगे और किसी का भी हस्तक्षेप नहीं होगा.
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न्यूज एजेंसी एएनआई ने जब फारूख से यह पूछा कि क्या वे चुनाव लड़ेंगे, उन्होंने कहा, 'हां, मैं चुनाव लड़ूंगा.' उन्होंने आगे कहा, वे (उमर अब्दुल्ला) कहते थे कि जब तक जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश नहीं बन जाता, मैं चुनाव नहीं लड़ूंगा. जब जम्मू-कश्मीर राज्य का दर्जा वापस पा लेगा तो वह चुनाव लड़ेंगे और मैं अपनी सीट छोड़ दूंगा. मुझे उम्मीद है कि हम सरकार बनाएंगे.' जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने पिछले दिनों कहा था कि राज्य में विधानसभा चुनाव कराकर केंद्र सरकार राज्य की जनता पर कोई अहसान नहीं कर रही है. पिता की ही तरह उमर भी जमकर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) पर बरसे. उमर ने कहा था पिछले पांच सालों में केंद्र शासित प्रदेश के लोगों को कुछ नहीं मिला है.
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जम्मू-कश्मीर में आखिरी विधानसभा चुनाव साल 2014 में हुए थे. उस समय पीडीपी और बीजेपी ने गठबंधन की सरकार बनाई थी. हालांकि, बीजेपी ने सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया और सरकार गिर गई. बाद में, जम्मू-कश्मीर राष्ट्रपति शासन के अधीन आ गया. 5 अगस्त, 2019 को अनुच्छेद 370 खत्म होने के बाद, जम्मू कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेशों, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में विभाजित कर दिया गया. नए परिसीमन से विधानसभा सीटों की संख्या भी बढ़ गई. इस साल जून में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्रीनगर में कहा था कि केंद्र शासित प्रदेश में न सिर्फ विधानसभा चुनाव होंगे बल्कि राज्य का दर्जा भी बहाल किया जाएगा.