बरसात के मौसम में इस तरह करें पशुओं की देखभाल, कभी नहीं होगा नुकसान, जानें कानपुर के वैज्ञानिक की राय

बरसात के मौसम में इस तरह करें पशुओं की देखभाल, कभी नहीं होगा नुकसान, जानें कानपुर के वैज्ञानिक की राय

Animal Care Tips: सीएसए के पशु वैज्ञानिक डॉक्टर शशिकांत बताते हैं कि बारिश के मौसम में हरे चारे के विकल्प पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए. चरी, नेपियर, मक्का जैसी घास या चारे की फसलें जानवरों के लिए सुरक्षित रहती हैं क्योंकि इनमें कीटाणुओं के पनपने की संभावना कम होती है.

बरसात का मौसम पशुपालकों के लिए चिंता बढ़ा देता है.बरसात का मौसम पशुपालकों के लिए चिंता बढ़ा देता है.
नवीन लाल सूरी
  • LUCKNOW,
  • Aug 27, 2025,
  • Updated Aug 27, 2025, 5:52 PM IST

राजधानी लखनऊ सहित प्रदेश के कई जिलों में पिछले कुछ दिनों से लगातार बारिश हो रही है. ऐसे में भारी बरसात के मौसम में किसानों के लिए पशुपालन एक काफी चुनौतीपूर्ण होता है, क्योंकि मौसम में बदलाव का सीधा असर पशुओं पर पड़ता है. इस मौसम में पशुओं में कई बीमारियों के फैलने का खतरा बढ़ जाता है. वहीं बारिश में मौसम के बदलाव के साथ पशुओं के स्वास्थ्य पर भी विशेष निगरानी रखने की आवश्यकता है. अन्यथा पशु वायरस की चपेट में आ सकते हैं और आपको बड़ा नुकसान हो सकता है. यहां तक कि दूध उत्पादन भी प्रभावित हो सकता है.

इसी क्रम में चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (सीएसए) कानपुर के अधीन संचालित कृषि विज्ञान केंद्र दिलीप नगर के द्वारा ग्राम बिहारी पूर्वा विकासखंड मैंथा में पशुपालन वैज्ञानिक डॉक्टर शशिकांत के द्वारा किसानों को दो दिवसीय बरसात के दिनों में पशुओं की देखभाल विषय पर प्रशिक्षण कराया गया.

इस मौके पर डॉक्टर शशिकांत ने बताया कि बारिश के दौरान पशुओं को सुखा हवादार और साफ सुथरा पशुशाला में रखना जरूरी है. जहां पानी के जमाव हो वहां पशुओं को न रखे उन्हें साफ ताजा व संतुलित आहार खिलाएं. उन्होंने बताया कि पशुओं को दूषित चारा न खिलाएं. जबकि पशुओं को कीचड़ में न जाने दें और समय-समय पर टीकाकरण अवश्य कराए. दरअसल, बरसात के मौसम में नमी बढ़ने से बैक्टीरिया और फंगल वाली बीमारियां तेजी से पनपते हैं.

किसानों को बरसात के दिनों में पशुओं की देखभाल विषय पर दिया गया प्रशिक्षण

सीएसए के पशु वैज्ञानिक डॉक्टर शशिकांत बताते हैं कि बारिश के मौसम में हरे चारे के विकल्प पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए. चरी, नेपियर, मक्का जैसी घास या चारे की फसलें जानवरों के लिए सुरक्षित रहती हैं क्योंकि इनमें कीटाणुओं के पनपने की संभावना कम होती है. इसके अलावा हाईलैंड एरिया यानी ऊंची जगहों की घास भी जानवरों को दी जा सकती है. 

केंद्र के वैज्ञानिक डॉक्टर अरुण कुमार सिंह ने बताया कि पशुओं को प्रत्येक 3 माह में एक बार पशुओं के कीड़े मारने की दवा देते रहे. उन्होंने किसानों को बताया कि दुधारू पशुओं से निरंतर दूध लेने के लिए पशुओं के नवजात बच्चों की उचित देखभाल करना अति आवश्यक है. बरसात में तापमान गिरता है और वातावरण ठंडा और नम हो जाता है, जो पशुओं के लिए हानिकारक है.

ये भी पढ़ें-

पश्चिम की ओर खिसक गया मॉनसून... वेदर थिंक टैंक ने बताया कैसे 40 सालों में बदल गया देश का मौसम

उत्तर प्रदेश में 30 अगस्त से होगी मूसलाधार बारिश, मौसम विभाग ने जारी की बड़ी चेतावनी, जानिए पूर्वानुमान

Farmer Protest: यूरिया नहीं मिलने से नाराज किसान, कहीं अधिकारियों को किया बंद तो कहीं रोका रास्‍ता 

MORE NEWS

Read more!