पशुओं से अच्छा दूध उत्पादन पाने के लिए सिर्फ देखभाल ही नहीं, बल्कि उनके सही खानपान का भी ध्यान रखना जरूरी होता है. सर्दियों के मौसम में एक खास हरा चारा है जिसे "बरसीम" कहा जाता है, जो दुधारू पशुओं के लिए किसी वरदान से कम नहीं है. यह न केवल दूध की मात्रा बढ़ाता है, बल्कि पशु की सेहत को भी बेहतर बनाता है.
बरसीम एक दलहनी हरा चारा है, जो सर्दियों में भारी मात्रा में बोया जाता है. इसमें भरपूर मात्रा में प्रोटीन पाया जाता है, जो आसानी से पच भी जाता है. इसमें मौजूद प्रोटीन का 75 प्रतिशत भाग पाचन योग्य होता है, जो दुधारू पशुओं के लिए अत्यंत फायदेमंद होता है.
बरसीम एक ऐसा चारा है जिसे पशुओं को दाने के विकल्प के रूप में 60% से 75% तक खिलाया जा सकता है. यह दाने की तरह ही दूध उत्पादन बढ़ाने में सहायक होता है. बरसीम खाने से:
बरसीम की खेती का एक और बड़ा फायदा है कि इससे खेत की उर्वरा शक्ति बढ़ती है. यानी जो खेत एक बार बरसीम के लिए उपयोग में लाया गया है, उसमें अगली फसलों की उपज भी बेहतर होती है. यह चारा अप्रैल के अंत तक पशुओं के लिए उपलब्ध रहता है.
डॉ. दिवाकर, कृषि विज्ञान केंद्र सुल्तानपुर के पशु चिकित्सक के अनुसार, बरसीम के लिए ठंडी और शुष्क जलवायु सबसे उपयुक्त होती है. यह खरीफ की फसल जैसे मक्का, बाजरा या कपास की कटाई के बाद खाली हुए खेतों में बोया जाता है.
ध्यान दें कि बरसीम की बुवाई का सबसे अच्छा समय सितंबर के आखिरी सप्ताह से लेकर नवंबर तक होता है. धान की खड़ी फसल में भी इसकी छिड़कवा विधि से बुवाई की जा सकती है.
यदि बरसीम आवश्यकता से अधिक मात्रा में हो जाए, तो इसका उपयोग साइलेज बनाने में भी किया जा सकता है. साइलेज एक प्रकार का सड़ा-संरक्षित चारा होता है जो पशुओं को सालभर खिलाया जा सकता है.
सर्दियों में बरसीम न केवल पशुओं की सेहत को सुधारता है, बल्कि दूध उत्पादन में भी चमत्कारी वृद्धि करता है. यह किसानों की आय बढ़ाने और चारे की लागत घटाने में बेहद उपयोगी है. अगर आप भी अपने पशुओं से बेहतर दूध उत्पादन चाहते हैं, तो बरसीम को अपने चारे में जरूर शामिल करें.