भीषण गर्मी के इस मौसम में सिर्फ इंसान ही नहीं पशु भी परेशान होते हैं. इंसानों की तरह से पशुओं को भी शरीर में पानी की कमी हो जाती है. जिसके चलते पशुओं को तो परेशानी होती ही है, साथ पशुपालकों को खासा नुकसान भी उठाना पड़ता है. एनिमल एक्सपर्ट का कहना है कि अगर पशुपालक इस नुकसान से बचना चाहते हैं तो उन्हें गर्मियों के इस मौसम में खासतौर से दुधारू पशुओं पर पैनी नजर रखनी होगी. क्योंकि पशुओं के सात ऐसे लक्षण हैं जो ये बताते हैं कि पशु के शरीर में पानी की कमी है.
ऐसे लक्षणों की पहचान कर पशु को फौरन इलाज दिया जा सकता है. साथ ही दिनभर उसके पानी पीने पर भी नजर रखी जा सकती है. गर्मियों में पानी की कमी के चलते पशुओं को सबसे बड़ी डिहाइड्रेशन, हीट स्ट्रैस और हीट स्ट्रोक जैसी बीमारी का सामना करना पड़ता है. गर्मी में पशुओं के लिए साफ और ताजा पानी पीना बहुत जरूरी है. लेकिन, अगर पानी का ख्याल रखा जाए तो पशु को बीमार होने और उत्पादन कम होने के नुकसान से बचा जा सकता है.
जब पशुओं में पानी की कमी हो जाती है तो कई तरह के लक्षण से इसे पहचाना जा सकता है. जैसे पशुओं को भूख नहीं लगती है. सुस्ती और कमजोर हो जाना. पेशाव गाढ़ा होना, वजन कम होना, आंखें सूख जाती हैं, चमड़ी सूखी और खुरदरी हो जाती है और पशुओं का दूध उत्पादन भी कम हो जाता है. और सबसे बड़ी पहचान ये है कि जब हम पशु की चमढ़ी को उंगलियों से पकड़कर ऊपर उठाते हैं तो वो थोड़ी देर से अपनी जगह पर वापस आती है.
पानी की कमी होने पर पशुओं को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है. जैसे चारा खाने और उसे पचाने की क्षमता कम हो जाती है. शरीर के जरूरी पोषक तत्वा मल-मूत्र के जरिए बाहर निकलने लगते हैं. पशुओं की दूध उत्पादन और प्रजनन क्षमता पर असर पड़ने लगता है. खून गाढ़ा होने लगता है. बछड़े और बछड़ियों को पेचिस लग जाती है. बड़े पशुओं को दस्त लग जाते हैं.
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