हार्ट अटैक इंसानों को ही नहीं पशुओं को भी होता है. सुनकर अजीब जरूर लगता है लेकिन यह सच है. भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान बरेली के वैज्ञानिकों ने इस बात को लेकर चिंता जाहिर की है. कुत्ते ,बिल्लियों और दुधारू पशुओं से लेकर चिड़ियाघर में पल रहे जानवरों में भी हार्ट संबंधी बीमारियां तेजी से हो रही है. लखनऊ चिड़ियाघर में मादा तेंदुआ बिजली की हार्ट अटैक से 2 दिन पहले ही मौत हो चुकी है. यह कोई पहला मामला नहीं है. इसके पहले भी सैफई के वन्य जीव अभ्यारण में हार्ट अटैक से मौत के मामले सामने आ चुके हैं. आईवीआरआई के वैज्ञानिकों का कहना है कि पर्यावरण में तेजी से हो रहे बदलाव इसका एक बहुत बड़ा कारण है. खान-पान में हुए बदलाव का भी असर पशुओं पर पड़ रहा है. पिछले दो से तीन साल में भारत में कुत्ते, बिल्लियों में भी हार्ट अटैक के मामले तेजी से बढ़े हैं.
भारत में पशुओं में हार्ट संबंधी बीमारी तेजी से बढ़ रही है. आईवीआरआई बरेली के वैज्ञानिकों ने पशुओं में हार्ट की बीमारी उसके लक्षण जांच और उपचार को लेकर अब चिकित्सकों को प्रशिक्षण दे रहे हैं. पशुओं में हृदय की बीमारी की पहचान के लिए इकोकार्डियोग्राफी की जाती है लेकिन ज्यादातर पशु चिकित्सालय में इस तरह के संसाधन ना होने से बीमारी की पहचान नहीं हो पाती है जिससे पशुओं की मृत्यु हो जाती है. पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. अमरपाल ने बताया कि पशुओं के खान-पान और रहन-सहन में तेजी से बदलाव के कारण उनके हृदय के वाल्व अनियमित रूप से काम करने लगते हैं. वहीं पर्यावरण असंतुलन से भी हृदय का आकार बढ़ जाता है. हृदय की संकुचन क्षमता घट जाती है जिससे खून का प्रवाह कम होता है और उनकी मृत्यु हो जाती है.
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डॉ अमरपाल ने बताया की छोटे पशुओं खास तौर से बिल्ली और कुत्तों में हृदय की दीवार की मोटाई बढ़ जाने से उनके हार्ट चैंबर का छोटा हो जाना मौत का एक बड़ा कारण बन रहा है. बीते कुछ दिनों में इस तरह की समस्या बढ़ी है. दुधारू पशुओं में भी हार्ट अटैक से मौतें हो रही है. इन पशुओं में गाय ,भैंस के अलावा बकरी भी शामिल है. हालिया शोध में खुलासा हुआ है की पालतू पशुओं में अनियमित खान-पान और पर्यावरण के असंतुलन के चलते हार्ट अटैक जैसी बीमारी तेजी से पनप रही है. इस बीमारी का पता लगाने के लिए ईको कार्डियोग्राफी मशीन की जरूरत होती है. ज्यादातर पशु अस्पतालों में इस तरह की मशीन का अभी अभाव है. निदेशक रोग नियंत्रण डॉ पी.के सिंह ने बताया यूपी के पाली क्लिनिक में अब जरूरी संसाधन की व्यवस्था को किया जा रहा है.
पशुओं में हार्टअटैक की बीमारी पहले से ही दिल में पनप रहे किसी रोग की वजह से भी होती है. ठण्ड व अत्यधिक गर्मी के कारण उनके दिल की धड़कन कई बार रुक जाती है. पशुओ में हार्ट रोग से होने वाली मौत से बचाव के लिए ये उपाय चिकित्सको के द्वारा बताये गए है.