Aqua park: त्रिपुरा बनेगा ऑर्गेनिक फिश क्लस्टर, 42 करोड़ की लागत से बन एक्वापार्क, जानें और क्या है खास 

Aqua park: त्रिपुरा बनेगा ऑर्गेनिक फिश क्लस्टर, 42 करोड़ की लागत से बन एक्वापार्क, जानें और क्या है खास 

केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह का कहना है कि मछुआरों को मत्स्य पालन और जलीय कृषि अवसंरचना विकास निधि (एफआईडीएफ) और पीएमएमएसवाई जैसी सरकारी योजनाओं का फायदा उठाना चाहिए. साथ ही केन्द्र सरकार एनएफडीबी के माध्यम से प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण में सहयोग की भी कर रही है. 

नासि‍र हुसैन
  • NEW DELHI,
  • May 19, 2025,
  • Updated May 19, 2025, 1:03 PM IST

मछली पालन क्षेत्र में साल 2014-15 से नौ फीसद से ज्यादा की बढ़ोतरी हो रही है. ये भारत में कृषि और उससे जुड़े सेक्टर में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी है. मछली पालन क्षेत्र में त्रिपुरा में भी बहुत संभावनाएं हैं. ये कहना है केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह का. उन्होंने आधुनिक तकनीक, एकीकृत खेती और नवाचार के इस्तेमाल से डिमांड और सप्लाई के बीच की कमी को पूरा करने की जरूरत पर भी जोर दिया. उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि देश में 11 एक्वापार्क बनाए जा रहे हैं. इसमे से चार पार्क पूर्वोत्तर क्षेत्र में बनाए जा रहे हैं. एक पार्क का निर्माण त्रिपुरा में भी कराया जा रहा है. 

42 करोड़ की लागत से ये पार्क बन रहा है. अगरतला, त्रिपुरा में एक्वा पार्क की आधारशि‍ला के मौके पर उन्होंने ये बात कही. वहीं उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि त्रिपुरा की 1.5 लाख टन की डिमांड है. इसलिए जरूरी है कि राज्य में दो लाख टन का उत्पादन किया जाए. जिससे कि यहां से मछली एक्सपोर्ट भी की जा सके. इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए सिक्किम की तरह से त्रिपुरा में भी ऑर्गेनिक फिश क्लस्टर बनाया जाएगा. 

मछली पालन में रिसर्कुलेटरी और ड्रोन सिस्टम अपनाने की अपील 

केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के सचिव डॉ. अभिलक्ष लिखी ने इस मौके पर विभाग की प्रमुख योजनाओं और पहलों पीएमएमएसवाई, एफआईडीएफ और प्रधानमंत्री मत्स्य किसान समृद्धि सह-योजना (पीएमएमकेएसएसवाई) के बारे में जानकारी दी. उन्होंने बताया कि ये सभी योजनाएं 38 हजार करोड़  रुपये की हैं. इसमे से पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए 2114 करोड़ रुपये की परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है, जिसमें खासतौर पर त्रिपुरा के लिए 319 करोड़ रुपये दिए गए हैं. डॉ. लिखी ने मछुआरों और मछली पालकों से अपील करते हुए कहा कि रिसर्च और विकास में प्रगति का पूरा फायदा उठाते हुए रिसर्कुलेटरी एक्वाकल्चर सिस्टम (आरएएस), बायोफ्लोक और ड्रोन आधारित आधुनिक तकनीकों को अपनाएं.

उन्होंने आजीविका सुरक्षा के महत्व पर जोर देते हुए मछुआरों के लिए बीमा कवरेज प्रदान करने के फायदे के बारे में भी बताया. कार्यक्रम के दौरान मछुआरों और मछली पालकों को जानकारी दी गई कि उनकी आजीविका में मदद करने के लिए छह हजार रुपये सालाना की वित्तीय मदद दी जा रही है. कार्यक्रम के दौरान संयुक्त सचिव सागर मेहरा, एनएफडीबी के मुख्य कार्यकारी डॉ. बिजय कुमार बेहरा के साथ-साथ केंद्र और राज्य मत्स्य विभाग के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे.

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