Goat Farming कई मायनों में बकरी पालन को बहुत आसान और सस्ता माना जाता है. इसके पीछे एक बड़ी वजह बकरियों की हार्ड इम्यूनिटी भी है. एनिमल एक्सपर्ट की मानें तो गाय-भैंस या दूसरे पशुओं के मुकाबले बकरियां जल्दी बीमार नहीं पड़ती हैं. बकरियों में जो भी मृत्यु दर होती है वो बच्चों में ही होती है. वो भी चार महीने की उम्र तक. इसलिए कहा जाता है कि बकरी पालन में मैमनों यानि बकरी के बच्चों की तीन से पांच महीने की उम्र बहुत खास होती है. इस दौरान उन्हें बहुत देखभाल की जरूरत होती है. खासतौर पर बीमारियों से बचाने के लिए टीके लगवाना और दवाई पिलाना शामिल है.
बकरी पालन में बीमारियों का जोखिम बहुत कम होता है, और जो बचता भी है तो वो टीकाकरण कराने से कंट्रोल हो जाता है. और कुछ ऐसी बीमारियां हैं जिनकी वक्त से पहचान कर इलाज कराने के बाद काबू पा लिया जाता है. एक्सपर्ट का कहना है कि बकरी पालन दूध कम उसके बच्चों के लिए किया जाता है. क्योंकि बड़े करने के बाद यही बच्चे मीट के लिए बाजारों में बेचे जाते हैं. लेकिन इस मुनाफे को कमाने के लिए जरूरी है कि मृत्यु दर को कम किया जाए. और ऐसा करने के लिए जरूरी है कि उन्हें वक्त से टीके लगवाए जाएं.
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