एनीमल एक्सपर्ट के मुताबिक देश में करीब 30 करोड़ पशु हैं. इसमे से लगभग 10 करोड़ पशु ही दूध देते हैं. बावजूद इसके भारत दूध उत्पादन में नंबर वन है. लेकिन, अगर बाकी बचे 20 करोड़ पशु भी वक्त से और ज्यादा दूध दें तो देश का कुल दूध उत्पादन कई गुना बढ़ सकता है. इसी को देखते हुए केन्द्र सरकार ने राष्ट्रीय गोकुल मिशन योजना शुरू की है. योजना के तहत पशुओं की नस्ल सुधार और प्रति पशु दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए चार अलग-अलग स्कीम चलाई जा रही हैं. कृत्रिम गर्भाधान (एआई) और सेक्स सॉर्टेड सीमन स्कीम इसमे बहुत खास है.
अब ज्यादातर पशुपालक अपने पशुओं को गाभिन कराने के लिए एआई की मदद ले रहे हैं. वहीं पशुओं के बाड़े में ज्यादातर पशु दूध देने वाले हों इसके लिए सेक्स सॉर्टेड सीमन का इस्तेमाल किया जा रहा है. हाल ही में एक सवाल के जवाब में केन्द्र सरकार ने लोकसभा में भी चारों स्कीम के बारे में जानकारी दी है.
एआई स्कीम के तहत पशुपालक गाय-भैंस को गाभिन कराने के लिए सांड के वीर्य वाली स्ट्रॉ का इस्तेमाल करते हैं. अब एआई टेक्नीशियन पशुपालाकों के दरवाजे पर जाकर भी एआई की सुविधा दे रहे हैं. सरकार एआई के कवरेज को बढ़ाने पर काम कर रही है. वीर्य उत्पादन में क्वालिटी लाने और उसकी मात्रा बढ़ाने के लिए वीर्य केंद्रों को मजबूत बनाया जा रहा है. पशुपालन और डेयरी विभाग ने वीर्य उत्पादन के लिए न्यूनतम मानक प्रोटोकॉल तैयार किया है. वीर्य केंद्रों के मूल्यांकन और ग्रेडिंग के लिए केंद्रीय निगरानी इकाई (सीएमयू) कमेटी भी बनाई गई है.
सिर्फ बछिया पैदा कराने के लिए सेक्स सॉर्टेड सीमन इस्तेमाल किया जा रहा है. शुरुआत में ये बहुत महंगा पड़ रहा था. केन्द्र सरकार ने इसे सस्ता करने के लिए गुजरात, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश 5 सरकारी वीर्य केंद्रों पर सेक्स सॉर्टेड सीमन उत्पादन शुरू कर दिया है. तीन प्राइवेट कंपनी भी सेक्स सॉर्टेड सीमन की खुराक तैयार कर रही हैं. अभी तक सरकारी केन्द्रों पर उच्च आनुवंशिक योग्यता वाले बैलों से 1.17 करोड़ सेक्स सॉर्टेड सीमन खुराक तैयार की जा चुकी हैं. इसमे देशी नस्ल के बैल भी शामिल हैं. सरकार पशुपालकों को सस्ती कीमत पर ये खुराक उपलब्ध करा रही है.
पीटी बुल तैयार करने के लिए सरकार संतान परीक्षण और वंशावली चयन कार्यक्रम चला रही है. इसका मकसद देशी नस्लों के सांडों समेत उच्च आनुवंशिक योग्यता वाले सांडों का उत्पादन करना है. गिर, साहीवाल नस्ल के मवेशियों और मुर्रा, मेहसाणा नस्ल की भैंसों पर संतान परीक्षण किया जा रहा है. वहीं वंशावली चयन के लिए राठी, थारपारकर, हरियाणा, कंकरेज नस्ल के मवेशी और जाफराबादी, नीली रावी, पंढरपुरी और बन्नी नस्ल की भैंसों को शामिल किया गया है.
इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) तकनीक का इस्तेमाल कर देशी नस्ल के बेहतरीन पशुओं को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने 22 आईवीएफ लैब बनवाई हैं. पटियाला और लुधियाना में आईवीएफ प्रयोगशालाओं की स्थापना के लिए पंजाब को धनराशि जारी की गई है. दोनों प्रयोगशालाए अब चालू हैं.
जीनोमिक चयन मतलब उच्च आनुवंशिक योग्यता (एचजीएम) वाले पशुओं का चयन करने और मवेशियों और भैंसों के आनुवंशिक सुधार में तेजी लाने के लिए सरकार ने एकीकृत जीनोमिक चिप्स विकसित किए हैं. देशी मवेशियों के लिए गौ चिप और भैंसों के लिए महिष चिप खासतौर पर तैयार की गई है.
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