America-India Trade Deal: अमेरिका को भारत के पास ही आना पड़ेगा लौटकर, जानें क्यों बोले एक्सपर्ट 

America-India Trade Deal: अमेरिका को भारत के पास ही आना पड़ेगा लौटकर, जानें क्यों बोले एक्सपर्ट 

America-India and Shrimp Trade झींगा, मछली और दूसरे सीफूड की बात करें तो अमेरिका को 22 से 23 हजार करोड़ रुपये का एक्सपोर्ट होता है. इसमे सबसे बड़ा आंकड़ा 60 से 65 फीसद झींगा का है. 90 से 95 फीसद झींगा एक्सपोर्ट होता है. इसीलिए झींगा किसानों के सामने बड़ा संकट खड़ा हो गया है. लेकिन एक्सपर्ट का कहना है कि इसका भी हल है और एक महीने में ही अमेरिका वापस पुरानी पॉलिसी पर ही लौटकर आ जाएगा. 

मछली पालक सभी सरकारी योजना का लाभ उठा सकते हैं.मछली पालक सभी सरकारी योजना का लाभ उठा सकते हैं.
नासि‍र हुसैन
  • New Delhi,
  • Jul 31, 2025,
  • Updated Jul 31, 2025, 12:50 PM IST

America-India and Shrimp Trade अमेरिका ने इंडियन प्रोडक्टस पर 25 फीसद का भारी-भरकम ट्रेड टैरिफ लगाकर बड़ा झटका दे दिया है. एक दिन बाद यानि एक अगस्त से इसे लागू कर दिया जाएगा. अमेरिका के इस कदम से उन प्रोडक्ट पर संकट खड़ा हो गया है जो अमेरिका बड़ी मात्रा में खरीदता है. इसमे झींगा भी शामिल है. ये वो झींगा है जो तालाब में पाला जाता है. झींगा के अलावा दूसरे सीफूड अलग हैं. झींगा किसान और एक्सपर्ट डॉ. मनोज शर्मा ने किसान तक को बताया कि अगर पीएम नरेन्द्र मोदी मदद करें और हम घरेलू बाजार पर आ जाएं तो यही अमेरिका हमारे पास लौटकर आएगा. 

नई ट्रेड डील से निपटने को क्या रास्ता बताया 

  • एक्सपर्ट बोले झींगा का घरेलू बाजार इसका सबसे बड़ा समाधान है. 
  • झींगा का घरेलू बाजार बनाने में पीएम को मदद करनी होगी. 
  • देश में 9.5 लाख टन झींगा का उत्पादन होता है. 
  • पांच से 10 फीसद झींगा ही घरेलू बाजार के लिए बचता है. 
  • देश में 70 फीसद यानि 100 करोड़ नॉन वेजिटेरियन हैं. 
  • अगर साल में एक किलो झींगा खाया तो 10 लाख टन हो गया. 
  • पीएम अगर नॉन वेजिटेरियन के हर घर झींगा का नारा दे दें तो एक्सपोर्ट करना पड़ जाएगा. 
  • देश में मछली का 190 लाख टन उत्पादन है और ज्यादातर हम खुद खा जाते हैं. 
  • झींगा का घरेलू बाजार खड़ा करने के लिए कोई बहुत बड़े तामझाम की जरूरत नहीं है.
  • हमे सिर्फ करना ये है कि हमारे देश के 750 बड़े शहरों को चुनना है. 
  • सभी शहरों में 30 दिन यानि एक महीने में 20 से 25 हजार टन झींगा की खपत बढ़ानी है. 
  • मुम्बई में हर महीने 100 टन के करीब झींगा खाया जा रहा है. 
  • गुजरात के सूरत जैसे शहर में भी झींगा की बिक्री हो रही है. 
  • घरेलू बाजार बढ़ गया तो हमारी एक्सपोर्ट पर निर्भरता कम हो जाएगी. 
  • एक्सपोर्ट पर निर्भरता कम होते ही हम अपने रेट और शर्तों पर विदेश में झींगा बेच सकेंगे. 

निष्कर्ष-

भारत के झींगा किसानों के सामने दो परेशानी हैं. पहली तो अमेरिका के लगाए 25 फीसद टैरिफ को झेलना है. दूसरा ये कि झींगा के इंटरनेशनल बाजार में इक्वाडोर का भी सामना करना है. इक्वाडोर झींगा का सबसे ज्यादा उत्पादन करता है और उसका झींगा सस्ता भी है. इसलिए भी झींगा के घरेलू बाजार को बड़ा करना बहुत जरूरी है.   

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