भारत में खेती-बाड़ी के बाद किसानों का रुख तेजी से पशुपालन की ओर बढ़ रहा है. कमाई के लिहाज से भी पशुपालन किसानों और पशुपालकों के लिए फायदे का सौदा साबित हो रहा है. लेकिन आए दिन दुधारू पशुओं में गर्भधारण न होने की समस्याएं तेजी से बढ़ती जा रही हैं. ये समस्याएं पशुपालकों के लिए एक गंभीर समस्या बन गई हैं क्योंकि पशुओं में दूध उत्पादन और गर्भधारण क्षमता में कमी होने से पशुपालकों को सीधे तौर पर आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे में ये जरुरी हो जाता है कि पशुपालकों को पशु गर्भधारण के संबंध में अधिक जानकारी हो ताकि वे इन समस्याओं का समाधान कर सकें.
दरअसल पशुओं में ये देखा जाता है कि कुछ पशु समय से मद में नहीं आते हैं. जिससे पशु गर्भधारण नहीं करते हैं. साथ ही बार-बार मद के लक्षण देते रहते हैं. ऐसे समस्याग्रस्त पशुओं के लिए ये सात उपाय काफी अहम हैं. ऐसी स्थिति में पशुपालक इन 7 उपायों को अपनाकर इस समस्या से निजात पा सकते हैं.
1. अगर आपके पशुओं को गर्भधारण की समस्या हो रही है तो पशु को अच्छे आहार के साथ-साथ 50 से 60 ग्राम अच्छे क्वालिटी वाला खनिज मिश्रण प्रतिदिन खिलाएं.
2. यदि पशु कृमियों (पेट में होने वाले कीड़े) से ग्रसित हैं तो पशु चिकित्सक की सलाह से कृमिनाशक दवा दें.
3. पशुपालक अपने पशुओं में मद के लक्षण को देखते ही उन्हें उचित समय पर गर्भित कराएं.
4. अगर किसी वजह से पशु के मद का समय निकल गया हो तो 21वें दिन विशेष ध्यान रखते हुए अपने पशु को गर्भित करवाएं.
5. वहीं अगर पशु के बच्चेदानी में कोई संक्रमण, सूजन, अंडाशय पर सिस्ट और पशु में हार्मोन संबंधी कमी हो तो पशु चिकित्सक से तुरंत संपर्क करें.
6. मई से जुलाई महीने का अधिक तापमान संकर पशुओं में मद को बढ़ाता है. ऐसे में बढ़ते तापमान से बचाव के लिए पशुओं की पर्याप्त सुरक्षा करनी चाहिए.
7. कभी-कभी सुविधानुसार मादा पशुओं को नर पशुओं के साथ रखना चाहिए. इससे उनकी प्रजनन क्रियाओं पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है.
गायों और भैंसों में मद चक्र की औसत अवधि 21 दिन होती है. इसमें गायों में 18 घंटे, जबकि भैंसों में लगभग 24 घंटे रहती है. वहीं गाय अधिकतर सुबह 4 बजे से दोपहर 12 बजे तक मद में आती है, जबकि भैंस शाम 6 बजे से सुबह 6 बजे तक मद में होती है. इसके अलावा भैंस सर्दी के मौसम में ज्यादा प्रजनन करती है.