Milk Production: दूध उत्पादन बढ़ने से डबल होगी डेयरी किसानों की इनकम, खर्च हो रहे 17 सौ करोड़

Milk Production: दूध उत्पादन बढ़ने से डबल होगी डेयरी किसानों की इनकम, खर्च हो रहे 17 सौ करोड़

Milk Production केन्द्र सरकार 1702 करोड़ रुपये खर्च कर पशुपालन और डेयरी सेक्टर में नौ अलग-अलग विषयों पर काम कर रही है. सरकार की पहल से एनिमल हैल्थ, डेयरी प्रोडक्ट और टेक्नोलॉजी, पशु नस्ल सुधार, एनिमल न्यूट्रीशन, वेटरनरी एजूकेशन, भेड़-बकरी की संख्या बढ़ाने आदि पर जोर दिया जा रहा है. इसका मकसद किसानों की इनकम को डबल करना भी है. 

भैंस की टॉप 4 नस्लेंभैंस की टॉप 4 नस्लें
नासि‍र हुसैन
  • Delhi,
  • Nov 17, 2025,
  • Updated Nov 17, 2025, 5:30 PM IST

Milk Production अमूल के पूर्व एमडी और इंडियन डेयरी एसोसिएशन के प्रेसिडेंट डॉ. आरएस सोढ़ी का कहना है कि दूध उत्पादन बढ़ने से किसानों की दूध की लागत कम होगी. लागत कम होगी तो डेयरी किसानों का मुनाफा बढ़ेगा. हालांकि हर साल करीब छह फीसद की दर से दूध उत्पादन बढ़ रहा है. लेकिन पशुओं की संख्या को देखते हुए ये अभी कम है. साथ ही बाजार में डेयरी प्रोडक्ट की डिमांड बढ़ना भी जरूरी है. क्योंकि जब कम लागत के टेस्टी प्रोडक्ट बाजार में आएंगे तो डिमांड बढ़ेंगी. हालांकि इसके लिए पशुपालन में कई काम करने की जरूरत है. साथ ही पशुओं को होने वाली बीमारियां भी दूध उत्पादन की लागत को बढ़ा देती हैं. लेकिन पशुओं को होने वाली बीमारियों की रोकथाम बहुत जरूरी है. 

बड़ी बात ये है कि इन्हीं बीमारियों के चलते डेयरी प्रोडक्ट का एक्सपोर्ट भी नहीं बढ़ पा रहा है. केन्द्र सरकार डेयरी और पशुपालन से जुड़ी इन्हीं परेशानियों को दूर करने के लिए 1702 करोड़ रुपये खर्च कर रही है. आर्टिफिशल इंसेमीनेशन, आईवीएफ तकनीक से पशुओं की नस्ल सुधारना, साइलेज-हे बनाकर पशुओं के न्यूट्रीशन को बरकरार रखना. वैक्सीनेशन अभि‍यान चलाकर छोटे-बड़े पशुओं को हेल्दी रखना ही इस योजना का हिस्सा है. 

पशुओं की हैल्थ-नस्ल पर इसलिए हो रही चर्चा 

एनिमल एक्सपर्ट डॉ. दिनेश भोंसले का कहना है कि हमारे देश में 300 मिलियन पशु हैं. लेकिन उसमे से सिर्फ 100 मिलियन पशु ही दूध देते हैं. बाकी के 200 मिलियन दूध नहीं देते हैं. इसके पीछे जो बड़ी वजह है वो उनकी खराब हैल्थ है. इतना ही नहीं जो 100 मिलियन पशु दूध दे रहे हैं वो भी प्रति पशु के हिसाब से कम है. इसलिए प्रति पशु दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए जरूरी है कि पशु नस्ल सुधार पर काम हो. 
वहीं एनिमल हैल्थ पर काम करना इसलिए जरूरी है कि पशु अगर मामूली रूप से भी बीमार होता है तो सबसे पहले दूध के रूप में उसके उत्पादन पर असर पड़ता है. वहीं जो 200 मिलियन पशु दूध नहीं दे रहे हैं उसमें भी कहीं ना कहीं बड़ी वजह बीमारियां ही हैं. ऐसी बहुत सारी बीमारियां हैं जिनके चलते पशु गर्भधारण नहीं कर पाता है. 

हैल्थ संग दूध उत्पादन के लिए भी है न्यूट्रीशन 

एनिमल एक्सपर्ट का कहना है कि हरा चारा हो या सूखा चारा, सभी तरह के चारे की कमी होने लगी है. और वक्त के साथ ये कमी लगातार बढ़ रही है. यहां तक की मिनरल मिक्चर (दाना) की भी कमी होने लगी है. इसके चलते पशुपालन की लागत भी बढ़ने लगी है. चारा अच्छा नहीं मिलता है तो दूध की क्वालिटी भी खराब हो जाती है. इसके लिए साइलेज और हे जैसी और उन्नत तकनीक की जरूरत है. पशुओं के लिए पैलेट्रस तैयार कर दूध उत्पादन और उसकी क्वालिटी दोनों को ही बढ़ाया जा सकता है.  

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