
Winter Animal Care गाय-भैंस हो या फिर भेड़-बकरी, मौसम को लेकर ये अक्सर तनाव (स्ट्रेस) में आ जाते हैं. एनिमल एक्सपर्ट की मानें तो अक्सर इस तनाव की मुख्य वजह मौसम होता है. लेकिन ये कोई जरूरी नहीं है कि गर्मी के मौसम में ही गाय-भैंस, भेड़-बकरी सबसे ज्यादा तनाव में आते हैं. दरअसल सर्दियों का मौसम भी छोटे-बड़े सभी तरह के पशुओं पर विपरीत असर डालता है. इसके चलते भी पशु तनाव में आते हैं. और इस सब का नुकसान पशुपालक को उत्पादन घटने और लागत बढ़ने के रूप में उठाना पड़ता है. इसलिए सर्दी के मौसम में भी पशुओं को ठंड से बचाना बहुत जरूरी है.
एक्सपर्ट का कहना है कि ठंड-कोहरे से पशुओं को बचाने के लिए बहुत जरूरी हो जाता है कि अक्टूबर से फरवरी तक पशुपालक एक्सपर्ट के बता टिप्स अपनाएं. टिप्स के मुताबिक पशु शेड का निर्माण इलाके की जलवायु के हिसाब से कराया जाना चाहिए. शेड ऐसा हो जिसमे मौसम के हिसाब से छोटे-छोटे बदलाव कराए जा सकें. लेकिन एक मॉडल शेड में कुछ चीजें ऐसी होती हैं जिनका हर वक्त होना जरूरी है. जैसे पूरा शेड तीन तरफ से 5 फीट ऊंची दीवार से घिरा होना चाहिए.
अगर आपके गांव-शहर में तापमान 0 से 10 डिग्री तक जाता है तो फिर उसके मुताबिक ही आपको शेड की तैयारी करनी होगी. यहां तक की मौसम के हिसाब से ही पशुओं का खानपान भी तैयार होगा. पशु की बिछावन कैसी होगी ये भी बदलते तापमान के हिसाब से ही पशुपालक को तैयार करनी होगी.
सरसों का तेल पशु को दी जानी वाली खुराक का दो फीसद देना चाहिए.
पशु को हरा चारा और भरपूर मात्रा में सूखा चारा देना चाहिए.
गुड़ का शीरा पांच से 10 फीसद तक दिया जा सकता है.
देर शाम में भी पशुओं को हरा चारा खाने में देना चाहिए.
पीने का पानी गर्म होना चाहिए.
शेड को मोटे पर्दे से कवर करना चाहिए.
शेड में गर्म हवा के लिए ब्लोअर और रेडिएटर का इस्तेमाल करना चाहिए.
पशुओं की पीठ को खाली बोरी या कंबल से ढक देना चाहिए.
पशु का बिस्तर सूखा होना चाहिए.
10 से 20 डिग्री तापमान भी बहुत ठंडा होता है. ऐसे में जितनी एहतियात इंसान बरतते हैं, उतनी ही पशुओं के लिए भी बरती जानी चाहिए. क्योंकि ये वो मौसम होता है जहां जरा सी भी लापरवाही पशुओं के लिए जानलेवा साबित हो सकती है.
पशुओं को ठंड के तनाव से बचाने के लिए 10 फीसद एडिशनल सप्लीमेंट दे सकते हैं.
पोषक तत्वों की जरूरत के मुताबिक हरा और सूखा चारा देना चाहिए.
24 घंटे ताजा और साफ पीने का पानी पशुओं के आसपास होना चाहिए.
पशुओं को दिन में तीन से चार बार खुराक देनी चाहिए.
ये भी पढ़ें- मीट उत्पादन में 5वीं से 4 पोजिशन पर आया भारत, दूध-अंडे में पहले-दूसरे पर बरकरार
ये भी पढ़ें- जरूरत है अंडा-चिकन को गांव-गांव तक पहुंचाकर नया बाजार तैयार किया जाए-बहादुर अली