Sonpari Goat: ज्यादा बच्चे देने और मीट के लिए जानी जाती है बकरियों की ये नस्ल, पढ़ें डिटेल

Sonpari Goat: ज्यादा बच्चे देने और मीट के लिए जानी जाती है बकरियों की ये नस्ल, पढ़ें डिटेल

Sonpari Goat Breed खासतौर पर वाराणसी, सोनभद्र और मिर्जापुर में पाली जाने वाली सोनपरी नस्ल की बकरी पर केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान (सीआईआरजी), मथुरा रिसर्च कर रहा है. इसे दो दूसरी नस्ल की बकरियों से तैयार किया गया है. गरीब पशुपालकों को ध्यान में रखते हुए इसे ज्यादा बच्चे देने और मीट के लिए तैयार किया गया है. 

किसानों के लिए ATM है ये बकरी की नस्लकिसानों के लिए ATM है ये बकरी की नस्ल
नासि‍र हुसैन
  • New Delhi,
  • Jul 10, 2025,
  • Updated Jul 10, 2025, 2:21 PM IST

Sonpari Goat Breed बकरियों में सोनपरी नस्ल की पहचान ज्यादा बच्चे देने और उसके मीट की डिमांड की वजह से है. गोट एक्सपर्ट की मानें तो सोनपरी बकरी एक बार में चार तक बच्चे देती है. क्योंकि सोनपरी नस्ल बैरारी और ब्लैक बंगाल का मिक्स है तो इसके मीट की डिमांड भी बहुत है. इसका वजन 25 से 28 किलो तक होता है और उसमे वसा (फैट) की मात्रा कम होती है. ये भी इसका मीट पसंद किए जाने की एक बड़ी वजह है. देशभर में बकरे-बकरियों की 37 रजिस्टर्ड नस्ल हैं. किसी नस्ल को ज्यादा दूध देने के लिए पाला जाता है तो किसी को मीट के स्वाद और क्वालिटी के लिए. 

गोट एक्सपर्ट बताते हैं कि कुछ ऐसी भी नस्ल होती हैं जो दूध-मीट दोनों के लिए पाली जाती हैं. बकरी पालन में मौसम और वातावरण का भी बड़ा असर पड़ता है. इसलिए कुछ ऐसी भी नस्ल हैं जो खास राज्यों में ही पाली जाती हैं. जैसे चांगथांगी लद्दाख यानि उसी तरह के ठंडे और पहाड़ी इलाके में पाली जाती हैं. 

मीट के लिए क्यों जानी जाती है सोनपरी बकरी 

 गोट साइंटिस्ट और सोनपरी एक्सपर्ट डॉ. चेतना गंगवार की मानें तो कुछ साल पहले सोनभद्र और मिर्जापुर के इलाकों में किसानों की मदद के लिए और उनकी गरीबी दूर करने के लिए बैरारी नस्ल की बकरी उनके बीच बांटी गईं थी. इसे पालकर वो इसके दूध से बच्चों का पालन-पोषण करते थे. लेकिन बीते कुछ वक्त से इन्हीं किसानों ने बैरारी बकरी और ब्लैक बंगाल नस्ल के बकरे को क्रास कराकर एक नई नस्ल तैयार कर दी. गौरतलब रहे कि ब्लैक बंगाल पश्चिम बंगाल की नस्ल है.

लेकिन इसका पालन सोनभद्र, वाराणसी, मिर्जापुर, झारखंड और छत्तीसगढ़ में भी किया जाता है. इसी के चलते किसानों ने ये नया प्रयोग किया. ब्लैंक बंगाल नस्ल‍ खासतौर से मीट के लिए अपनी पहचान रखती है. खाड़ी देशों में भी ब्लैक बंगाल को मीट के लिए पंसद किया जाता है. इसका मीट टेंडर मीट की कैटेगिरी में आता है. दूसरे बकरों के मुकाबले इसका मीट 200 रुपये किलो महंगा बिकता है. इस नस्ल के एक से डेढ़ साल की उम्र के बकरे का वजन 24 से 28 किलो तक जाता है. 

कितने बच्चे तक देती है सोनपरी बकरी 

डॉ. चेतना गंगवार का कहना है कि सोनपरी बकरी की एक सबसे बड़ी खासियत ये है कि ये 22 फीसद केस में चार बच्चे तक देती है. सामान्य तौर पर ये दो और तीन बच्चे देती है. जबकि दूसरी नस्ल की बकरियां कुछ खास केस में ही तीन बच्चे तक देती हैं. बकरी पालकों के बीच इसे पसंद किए जाने की एक और बड़ी वजह ये है कि इस नस्ल में रोगों से लड़ने की क्षमता दूसरों के मुकाबले बहुत ज्यादा है. 

कैसे करें सोनपरी बकरी की पहचान 

डॉ. चेतना गंगवार ने सोनपरी बकरी की पहचान के बारे में बताया कि अगर बाजार में सोनपरी नस्ल के बकरे-बकरी खरीदने जा रहे हैं तो इनकी पहचान बहुत ही आसान है. ये दिखने में डार्क ब्राउन कलर के होते हैं. इनकी पीठ यानि रीढ़ की हड्डी पर गर्दन से लेकर पूंछ तक काले रंग के उभरे हुए बाल होते हैं. इतना ही नहीं गले पर काले उभरे हुए बालों की रिंग (गोला) होती है. सींग नुकीले पीछे की ओर होते हैं. ये मध्यम आकार की बकरी है. पूंछ के पास थाई पर भी ब्राउन और ब्लैक कलर के उभरे हुए बाल होते हैं.

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