हर पशुपालक की ये चाहत होती है कि गाय हो या भैंस वो ज्यादा से ज्यादा वक्त तक दूध दे. लेकिन कई बार कुछ छोटी-बड़ी बीमारियों के गाय-भैंस का दूध उत्पादन कम हो जाता है. एनीमल एक्सपर्ट की मानें तो एक पशुपालक की मुख्य कमाई दूध से ही होती है. लेकिन, अगर दूध उत्पादन जरा भी गड़बड़ होता है तो पशुपालक को उसका नुकसान उठाना पड़ता है. ऐसी कुछ वजहों में सबसे खास वजह है थनेला बीमारी. थनेला गाय-भैंस किसी को भी हो सकती है. गौरतलब रहे कुछ दिन पहले गुरु अंगद देव वेटरनरी एंड एनिमल साइंस यूनिवर्सिटी (गडवासु), लुधियाना में एक वर्कशॉप के दौरान ये कहा गया था कि डेयरी में होने वाले नुकसान के लिए सबसे बड़ा कारण थनेला बीमारी है.
थनेला बीमारी की दो बड़ी वजह पशु का अंदरूनी संक्रमण और बाहरी गंदगी है. पशु को बांधने वाली जगह, पशु के शरीर, दूध के बर्तन, मच्छर, मक्खी , गोबर और धूल-मिट्टी से भी पशु को थनेला बीमारी हो सकती है. इसीलिए कहा जाता है कि दूध दुहाने से पहले पशुओं के थनों को अच्छी तरह से धोना चाहिए. इस संबंध में बिहार के पशुपालन विभाग ने सोशल मीडिया पर पशुपालकों के लिए एडवाइजरी जारी की है.
एनीमल एक्सपर्ट कहते हैं कि दूध दुहते समय पानी, बर्तन और फर्श की गुणवत्ता को लेकर अलर्ट रहें. डेयरी में काम करने वाली लेबर के गंदा रहने और उनके कपड़े इस बीमारी को और बढ़ा देते हैं. खराब खान-पान, किसी भी प्रकार का तनाव कम भी पशुओं में थनेला से लड़ने की क्षमता को कमजोर करते हैं. इस तरह की बीमारी में इंट्रा मैमरी इन्फ्यूजन की तुलना में पैरेंटल थेरेपी ज्यादा कारगर साबित होती है. अंतरा स्तन संक्रमण के दौरान पशुपालक क्या करें और क्या न करें इसके बारे में भी जानकारी दी गई. किसानों को दूध देने वाली मशीनों की उचित सफाई के संबंध में भी उचित सलाह दी गई.
दूध निकालने से पहले थनों की सफाई ना करना.
दूध निकालने वाले के कपड़े और हाथों के गंदा होने पर.
दूध निकालने वाला अगर बीमार है.
जिस बर्तन में दूध निकाला जा रहा उसका साफ ना होना.
गंदी जगह पर बैठकर पशु का दूध निकालना.
गाय-भैंस के बच्चे को दूध पिलाने के बाद थनों को ना धोना.
पशु के पेट, थन और पूंछ पर चिपकी गंदगी से.
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