Goat: पशुपालन मंत्रालय ने बताया दूध-मीट के लिए मुनाफे वाली हैं बकरियों की ये तीन खास नस्ल 

Goat: पशुपालन मंत्रालय ने बताया दूध-मीट के लिए मुनाफे वाली हैं बकरियों की ये तीन खास नस्ल 

गोट एक्सपर्ट की मानें तो सिरोही, उस्मानाबादी और संगमनेरी नस्ल के बकरे-बकरी का पालन मीट और दूध के लिए किया जाता है. सिरोही वैसे तो राजस्थांन की नस्ल है. लेकिन महाराष्ट्र में भी इसका पालन अच्छे से हो जाता है. महाराष्ट्र में सिरोही के मीट की बहुत डिमांड है. इतना ही नहीं पश्चिम बंगाल में दुर्गा पूजा के दौरान भी इनकी खासी डिमांड रहती है. 

नासि‍र हुसैन
  • NEW DELHI,
  • May 01, 2025,
  • Updated May 01, 2025, 10:54 AM IST

पशुपालकों के बीच बकरी पालन तेजी से बढ़ रहा है. नए लोग भी बकरी पालन में आ रहे हैं. दूध, मीट और ब्रीडिंग के लिए बकरी पालन किया जा रहा है. बकरी पालन के लिए लोन लेने वालों की संख्यां में भी इजाफा हो रहा है. नेशनल लाइव स्टॉक मिशन के तहत लोने के लिए सबसे ज्याहदा आवेदन बकरी पालकों के ही आ रहे हैं. इसी को देखते हुए केन्द्रीय पशुपालन और डेयरी मंत्रालय भी बकरी पालन को बढ़ावा दे रहा है. सोशल मीडिया पर मंत्रालय बकरी पालन के बारे में सलाह देता है. 

किस राज्य में दूध-मीट के लिए बकरे-बकरियों की कौनसी नस्ल पाली जा सकती हैं इसकी जानकारी देता है. हाल ही में मंत्रालय ने फेसबुक और एक्स पर दूध और मीट के लिए खासतौर से बकरियों की तीन नस्ल के बारे में बताया है. मंत्रालय का कहना है कि दूध-मीट के लिए तीनों ही नस्ल के बकरे-बकरियों को महाराष्ट्र में पाला जा सकता है. ये तीन खास नस्ल हैं सिरोही, उस्मानाबादी और संगमनेरी.  

ऐसे पहचान करें सिरोही बकरे-बकरियों की 

बकरे-बकरी का रंग भूरा और सफेद मिक्स होता है. 
शरीर पर बाल मोटे और छोटे होते हैं. 
बकरे और बकरी दोनों का ही शरीर मध्यम आकार का होता है. 
पूंछ मुड़ी हुई है और मोटे नुकीले बाल वाली होती है. 
सींग छोटे और नुकीले, ऊपर और पीछे की ओर मुड़े होते हैं.
बकरे का औसत वजन 50 और बकरी का 23 किलोग्राम तक होता है.
जन्म के समय मेमने का औसत वजन दो किलोग्राम तक होता है.
इस नस्ल की बकरी साल में एक बार जुड़वां बच्चे देती है. 
बकरी का दुग्ध काल 175 दिन का होता है. 
अपने दुग्ध काल में बकरी 71 लीटर तक दूध देती है. 

दूध-मीट दोनों के लिए पाली जाती है उस्मानाबादी

उस्मानाबादी नस्ल मुख्य रूप से महाराष्ट्र के उस्मानाबाद जिले के लातूर, तुलजापुर और उदगीर इलाकों में पाली जाती हैं. बकरियां आकार में बड़ी होती हैं. कलर की बात करें तो 73 फीसद बकरे-बकरी पूरी तरह से काले रंग के होते हैं. वहीं 27 फीसद सफेद और भूरे रंग के होते हैं. उस्मानाबादी को दूध-मीट दोनों के लिए ही पाला जाता है. बकरी का दुग्ध काल चार महीने का होता है. बकरी हर रोज 500 ग्राम से लेकर डेढ़ लीटर तक दूध देती है. बकरी साल में दो बार दो-दो बच्चे देती है. बकरे में से ड्रेस किया हुआ 45 से 50 किलो तक मीट निकल आता है. 

सींगों से होती है संगमनेरी बकरे-बकरी की पहचान 

संगमनेरी नस्ल आमतौर पर महाराष्ट्र के पूना और अहमदनगर जिलों में पाई जाती है. इस नस्ल में मध्यम आकार के बकरे-बकरी होते हैं. संगमनेरी बकरे-बकरी का कोई एक समान रंग नहीं होता है, यह सफेद, काले या भूरे रंग के अलावा अन्य रंगों के धब्बों के साथ भी पाए जाते हैं. कान नीचे की ओर झुके हुए हैं. बकरे-बकरी दोनों के सींग पीछे और ऊपर की ओर होते हैं. संगमनेरी नस्ल की बकरी दिनभर में 500 ग्राम से लेकर एक लीटर तक दूध देती है. बकरी का कुल दुग्ध काल 165 दिन का होता है.

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