हरियाणा के सोनीपत में युवाओं ने गौ सेवा का अनोखा तरीका निकाला है. सावन के महीने को देखते हुए सोनीपत के युवा शुद्ध देसी घी से घेवर तैयार कर रहे हैं. वे रोजाना करीब 10 क्विंटल घेवर बेचकर लाखों रुपये कमा रहे हैं. इतना ही नहीं इस कमाई का इस्तेमाल गौ संरक्षण में लगाने का फैसला किया है. युवाओं ने बताया कि अब तक हम लोग गौशाला को 67 लाख रुपये दान कर चुके हैं और यह पैसा देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी गौ सेवा के लिए भेजा जा रहा है. साथ ही घेवर की मांग भी लगातार बढ़ रही है. इसे लोगों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए बनाया जा रहा है. इसे देसी चीनी यानी मिश्री, गाय के दूध और देसी घी से बनाया जा रहा है. जिस वजह से ये स्पेशल घेवर खरीदने के लिए लंबी-लंबी कतारें लग रही हैं.
आज के समय में गायों की दुर्दशा किसी से छिपी नहीं है. किसी भी शहर में गायों को सड़कों पर घूमते देखना कोई बड़ी बात नहीं है, लेकिन गायों की सुरक्षा के लिए अधिकारी सिर्फ दावा करते हैं. इस दावे को सच करने के लिए सोनीपत के युवाओं ने ऐसा अनूठा तरीका अपनाया है. इससे न सिर्फ लोग अपने स्वास्थ्य से खिलवाड़ करने से बचेंगे बल्कि गायों की सेवा भी होगी. इस अनोखे प्रयास की मदद से सोनीपत के अलग-अलग गांवों की गौशालाओं में दान दिया जाता है, जिनमें सैकड़ों गाय रहती हैं.
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गांव पिनाना निवासी राकेश मलिक ने अपने साथ युवाओं की टीम को जोड़ा है. सावन के महीने में घेवर की सबसे ज्यादा डिमांड होती है. अमित ने बताया कि दोनों ने मिलकर इस मुहिम की शुरुआत की. यह मुहिम एक मिसाल बन गई है. इसे लोगों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए बनाया जा रहा है. इसे देसी चीनी, गाय के दूध और देसी घी से बनाया जा रहा है. घेवर लेने के लिए लंबी-लंबी कतारें लग रही हैं.
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अमित ने युवा हलवाइयों की एक टीम बनाई है जो गौशाला के अंदर ही शुद्ध देसी घी से घेवर तैयार कर रहे हैं. वे मावा लेने के लिए बाहर नहीं जा रहे हैं, बल्कि वे गौशाला में ही गाय के दूध से मावा तैयार कर रहे हैं. यह टीम गौशाला के बाहर स्टॉल लगाकर तीन तरह के घेवर बेच रही है. राकेश मलिक के मुताबिक, अब तक वे गौ रक्षा के लिए 67 लाख रुपये दान कर चुके हैं.
राकेश मलिक ने बताया कि वह शुद्ध देसी घी और मिश्री का इस्तेमाल कर घेवर तैयार कर रहे हैं. वह गौशाला के बाहर तीन प्रकार के घेवर तैयार कर रहे हैं, जिनके नाम मावा घेवर, दूधवाला घेवर और कम मीठा घेवर हैं. मावा घेवर की कीमत 350 रुपये, दूध वाला घेवर 300 रुपये और कम मीठा घेवर 200 रुपये है. इस घेवर को खरीदने के लिए सोनीपत ही नहीं बल्कि आसपास के राज्यों व विदेशों से भी लोग आ रहे हैं. वह रोजाना करीब 10 क्विंटल घेवर बेच रहे हैं. अमित मलिक का कहना है कि उनका उद्देश्य केवल लोगों के स्वास्थ्य को बचाना है और लोगों को जागरूक करना है.
राकेश मलिक ने बताया कि उनका उद्देश्य केवल गायों की सेवा करना है. सीजन समाप्त होने के बाद घेवर बनाने का खर्चा निकालने के बाद जो भी पैसा बचता है, वह गौ संरक्षण के लिए दिया जाएगा. अब तक हम गौशाला को 67 लाख रुपए दान कर चुके हैं. हमने गौमाता की सेवा के लिए यह अभियान शुरू किया है. इसे लोगों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए बनाया जा रहा है. इसे देसी चीनी, गाय के दूध और देसी घी से बनाया जाता है. इसे मिट्टी की भट्टी में तैयार किया जाता है. घेवर खरीदने के लिए लंबी कतारें लगती हैं.