Artificial Insemination: पशुओं में पूरे हुए आर्टिफिशियल इनसेमिनेशन के 6 करोड़ केस, जानें क्या हैं फायदे

Artificial Insemination: पशुओं में पूरे हुए आर्टिफिशियल इनसेमिनेशन के 6 करोड़ केस, जानें क्या हैं फायदे

आर्टिफिशियल इनसेमिनेशन (AI) अभि‍यान को केन्द्र सरकार ने शुरुआत में तीन साल के हिसाब से प्लान किया था. लेकिन इसकी कामयाबी को देखते हुए इसे तीन साल के लिए और बढ़ा दिया गया है. अब ये 2025-26 तक चलेगा. इससे जहां दूध उत्पादन बढ़ रहा है वहीं देसी नस्ल के दुधारू पशुओं का कुनबा भी बढ़ रहा है. 

Advertisement
पशुओं में पूरे हुए आर्टिफिशियल इनसेमिनेशन के 6 करोड़ केस, जानें क्या हैं फायदेगर्भवती गाय-भैंस को क्या खिलाएं

बीते चार साल में आर्टिफिशियल इनसेमिनेशन (AI) के छह करोड़ केस पूरे हो चुके हैं. साल 2019-20 में ये शुरू किया गया था. एआई की मदद से पशुओं को कृत्रिम रूप से गाभिन किया जाता है. केन्द्रीय डेयरी और पशुपालन मंत्रालय इस अभि‍यान को देशभर में चला रहा है. मंत्रालय से जुड़े जानकारों की मानें तो ये अभियान देसी नस्ल के पशुओं की नस्ल सुधार के लिए शुरू किया गया है. साल 2025-26 यानि पांच साल तक ये अभि‍यान चलेगा. केन्द्र की डेयरी से जुड़े राष्ट्रीय गोकुल मिशन के तहत इसे शुरू किया गया है. 

एनिमल एक्सपर्ट का कहना है कि दूध उत्पादन में हमारा देश विश्व में नंबर वन है. देश में दुधारू पशुओं की संख्या 300 मिलियन है. लेकिन उसमे से सिर्फ 100 मिलियन पशु ही दूध देते हैं. वहीं देश में प्रति पशु दूध उत्पादन भी कम है. इसी को सुधारने के लिए एआई अभि‍यान शुरू किया गया है. और अच्छी बात ये है कि इसका कामयाब नतीजा भी देखने को मिल रहा है. हर साल दूध उत्पादन में बढ़ोतरी हो रही है.  

ये भी पढ़ें: Dairy Milk: अब AI तकनीक से घटेगी दूध की लागत और पशुपालकों का बढ़ेगा मुनाफा, जानें कैसे

हर साल ऐसे बढ़ रहे हैं AI के केस 

एनिमल एक्सपर्ट का कहना है कि जब साल 2019-20 में एआई अभि‍यान शुरू हुआ था तो उस वक्त इसकी रफ्तार बहुत धीमी थी. लेकिन जागरुकता बढ़ने के साथ पशुपालक एआई तकनीक का इस्तेमाल करने लगे. इसके बाद हर साल एआई का आंकड़ा बढ़ने लगा. एआई तकनीक से गाभिन होने वालीं गाय-भैंस की संख्या बढ़ने लगी. साथ ही छोटे पशुओं जैसे भेड़-बकरी को भी एआई से गाभि‍न कराया जाने लगा. लेकिन सरकार का फोकस गाय-भैंस पर है. डेयरी और पशुपालन मंत्रालय की एक रिपोर्ट के आंकड़ों पर जाएं तो एआई तकनीक से गाभिन होने वाले पशुओं की संख्या साल 2019-20 में 76.68 लाख थी.

मतलब पशुओं को किसी भी सांड से गाभि‍न कराने के बजाए एआई तकनीक से गाभिन कराया गया था. दूसरे साल यानि 2020-21 में एक करोड़, 25 लाख, 2021-22 में एक करोड़, 80 लाख पशुओं को गाभिन किया गया था. जबकि 2022-23 में एक करोड़, 23 लाख पशुओं को गाभिन किया गया था. दूसरी और साल 2023-24 में एआई का ये आंकड़ा छह करोड़ को भी पार कर चुका है. 

ये भी पढ़ें: Silage Fodder: साइलेज और हे बनाकर डबल मुनाफा कमा रहे हैं पशुपालक, आप भी जानें तरीका

23 करोड़ टन के आंकड़े पर पहुंचा दूध उत्पादन 

डेयरी मंत्रालय की सालाना जारी होने वाली रिपोर्ट बताती है कि देश में दूध उत्पादन हर साल बढ़ रहा है. साल 2022-23 की बात करें तो दूध उत्पादन 23 करोड़ टन पर पहुंच गया है. एक्सपर्ट का तो ये भी कहना है कि राष्ट्रीय गोकुल मिशन अभियान के तहत चलाए गए एआई तकनीक के अभियान का एक बड़ा फायदा दूध उत्पादन में हुआ है. साल 2014 में सालाना दूध उत्पादन 14.6 करोड़ टन था. वहीं 2021-22 में दूध उत्पादन 22 करोड़ मिलियन टन के आंकड़े पर पहुंच गया था. पशुपालन करने वाले किसानों को भी इसका खूब फायदा मिल रहा है. जानकारों का कहना है कि किसानों की इनकम डबल करने के मकसद से ही सरकार ने यह अभियान शुरू किया है. 

 

POST A COMMENT