बिहार के गांवों में आज कृषि के बाद पशुपालन जीविकोपार्जन का सबसे बड़ा माध्यम है. हालांकि, राज्य के अंदर पशुओं की बीमारी के दौरान सरकारी स्वास्थ्य सुविधा आसानी से पहुंचे. इसको लेकर पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग की ओर से काम किए जा रहे हैं. इसी कड़ी में विभाग की ओर से पशुओं के इलाज की सुविधा उनके घर तक पहुंचाई जा रही है. 'एक कॉल पर चिकित्सा सेवा’ योजना से पशु चिकित्सा को डिजिटल और मोबाइल तकनीक से जोड़ दिया गया है.
विभाग ने पशु एवं मत्स्य क्षेत्र में बेहतर काम करते हुए टोल फ्री नंबर 1962 जारी किया है. इस नंबर पर किसान कॉल करके पशु चिकित्सक एम्बुलेट्री वैन या मोबाइल पशु चिकित्सा यूनिट अपने घर तक बुला सकते हैं.
पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग की ओर जारी सूचना के अनुसार, पशु चिकित्सा सेवाओं को मजबूत बनाने के लिए राज्य सरकार ने आधुनिक तकनीक से लैस मोबाइल पशु चिकित्सा यूनिट शुरू की है, जो जीपीएस सुविधा युक्त वाहन है. इसमें पशु चिकित्सा और लघु सर्जरी की सुविधा मौजूद है.
वहीं, दवाइयों के साथ-साथ कृत्रिम गर्भाधान जैसी सेवाएं भी दी उपलब्ध हैं. वहीं हाल के समय में 58 एम्बुलेट्री वैन और 534 मोबाइल यूनिट के जरिए गांव-गांव में पशुपालकों के द्वार तक सेवाएं पहुंच रही हैं. इसका सीधा लाभ छोटे किसानों और पशुपालकों को मिल रहा है, जिनके लिए यह सेवा वरदान साबित हो रही है.
पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग की ओर से शुरू की गई इस पहल के जरिए जनवरी 2025 तक 45.70 लाख पशुओं का इलाज हुआ है. वहीं, 1.54 लाख का बधियाकरण किया गया और 36.90 लाख पशुओं को कृत्रिम गर्भाधान की सुविधा दी गई. वहीं, सिर्फ एम्बुलेट्री वैन के माध्यम से अब तक 3,167 शिविर आयोजित किए जा चुके हैं, जिनमें 4.18 लाख पशुओं की चिकित्सा और 5,712 नमूनों की पैथोलॉजिकल जांच की गई है.
वहीं पिछले वर्ष राज्य स्तर पर 45 लाख से अधिक पशुओं का इलाज किया गया था जो बिहार के नजरिए से पशुपालन क्षेत्र में एक बड़ी सफलता के रूप में सामने आई है. हालांकि, आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में पशुपालन से जुड़े किसान जानवरों का इलाज प्राइवेट चिकित्सकों से करा रहे हैं.
राज्य सरकार ने पशु चिकित्सा सेवाओं का बुनियादी ढांचा तेजी से मजबूत किया है. वहीं, विभाग का दावा है कि अब जिला मुख्यालयों के पशु चिकित्सालय 24X7 सेवाएं दे रहे हैं. इसके अलावा मोबाइल यूनिट ने सुदूर इलाकों तक भी पहुंच बनाई है, जिससे वहां के पशुपालकों को राहत मिली है.
पहले जहां बीमार पशुओं को इलाज के लिए लंबा इंतजार करना पड़ता था, वहीं अब एक कॉल पर डॉक्टर गांव पहुंच रहे हैं. इससे पशुपालकों का भरोसा बढ़ा है और पशुपालन क्षेत्र में नए अवसर भी खुल रहे हैं.