
बकरी पालन में अगर आपने बकरी के बच्चों की मृत्यु दर को कंट्रोल कर लिया तो फिर आपको मुनाफा कमाने से कोई नहीं रोक सकता है. अगर एनीमल एक्सपर्ट की मानें तो इस कारोबार में सबसे बड़ा मुनाफा बकरी के दिए गए बच्चें ही होते हैं. अगर आप बाजार में बकरी का बच्चा खरीदने जाते हैं तो शुरुआती दिनों का बच्चा 1500 से दो हजार रुपये तक का मिलेगा. लेकिन अब केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान (सीआईआरजी), मथुरा की इस नई रिसर्च के बाद दिसम्बर-जनवरी वाली कड़ाके की ठंड में भी बच्चों को निमोनिया जैसी जानलेवा बीमारी नहीं होगी.
सीआईआरजी ने बच्चों के लिए एक खास तरह का शेड तैयार किया है. बहुत ही कम कीमत पर इसे खुद भी तैयार किया जा सकता है. ये शेड दो काम करता है. सर्दी में बच्चों को ठंड से बचाता है तो बरसात के दिनों में हरा चारा सुखाने के काम भी आता है.
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सीआईआरजी के सीनियर साइंटिस्टी डॉ. बी. राय ने किसान तक को बताया कि बकरी पालन में बच्चों की मृत्य दर कम करने और उन्हें ठंड से बचाने के लिए सोलर ड्रायर विंटर प्रोटेक्शन सिस्टम तैयार किया गया है. ये दोहरे काम करता है. सबसे पहले हम बच्चों को निमोनिया से बचाने की बात करें तो ठंड के मौसम ही नहीं गर्मी में भी बकरी के बच्चों को निमोनिया हो जाता है. इसलिए खासतौर पर ठंड के मौसम में बच्चों की सुरक्षा बहुत जरूरी हो जाती है.
ट्रॉयल के तौर पर हमने सीआईआरजी में इस सिस्टम को लोहे की जाली के ऊपर बनाया है. जाली के पीछे प्लास्टिक की शीट्स लगाई गई हैं. इसके पीछे कुशन के पैनल लगाए जाते हैं. इस तरह बाहर की ठंडी हवा अंदर शेड में नहीं आती है. अंदर और गर्मी पैदा करने के लिए कुछ ज्यादा वॉट्स की लाइट लगाई जाती हैं. ऐसा सब करने से शेड के अंदर घुटन न हो इसके लिए एक एग्जॉास्ट फैन लगा दिया गया है. शेड में बिजली की सप्लाई बराबर बनी रहे इसके लिए सोलर पैनल का इस्तेमाल किया गया है. ऐसा करने से बच्चे बाहर के ठंडे मौसम से बच जाते हैं.
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डॉ. बी. राय ने बताया कि ये शेड सर्दी के लिए चारे का इंतजाम भी करता है. जैसे बरसात के दिनों में हरा चारा बहुत होता है. लेकिन उसके अंदर नमी बहुत ज्यादा होती है, इसलिए उसे साइलेज या हे बनाकर नहीं रखा जा सकता है. और सुखाने की बात करें तो बरसात में हरे चारे को सुखाना बहुत ही मुश्किल हो जाता है. इसलिए इस खास सोलर ड्रॉयर का इस्तेमाल बरसात के दिनों में हरा चारा सुखाने में भी किया जा सकता है. और जैसे ही सर्दी शुरू हों तो बकरियों को सूखा हुआ चारा खिलाने के साथ ही बच्चों को रखने के लिए सूखी घास की तरह से जमीन पर बिछाया भी जा सकता है.