Ghee-Butter Export: घी के बारे में आई अच्छी खबर पर ये बोले अमूल के पूर्व MD RS Sodhi

Ghee-Butter Export: घी के बारे में आई अच्छी खबर पर ये बोले अमूल के पूर्व MD RS Sodhi

Ghee-Butter Export इंडियन डेयरी एसोसिएशन के प्रेसिडेंट और अमूल के पूर्व एमडी आरएस सोढ़ी का. किसान तक से बात करते हुए उन्होंने बताया कि आज दुग्ध क्रांति के पितामाह डॉ. वर्गीस कुरियन की तरह से मिल्क रेव्युलेशन-2 चलाने की जरूरत है. 

नासि‍र हुसैन
  • New Delhi,
  • Dec 25, 2025,
  • Updated Dec 25, 2025, 5:35 PM IST

केन्द्रीय पशुपालन और डेयरी मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक इस साल घी और मक्खन का खूब एक्सपोर्ट हुआ है. ये आंकड़ा बीते साल के मुकाबले डबल से भी ज्यादा है. साल में कई बार ऐसे मौके आते हैं जब भारतीय घी-मक्खन की डिमांड बढ़ जाती है. डेयरी एक्सपर्ट के मुताबिक कई ऐसे देश हैं जो हर साल भारत से 60 लाख डॉलर से भी ज्यादा का घी खरीदते हैं. लेकिन जरूरत इस आंकड़े को और बड़ा करने की है. क्योंकि भारत दूध उत्पादन में नंबर वन है. उम्मीद है कि हर साल भारत में दूध उत्पादन इसी तरह से बढ़ता रहेगा. अमूल के पूर्व एमडी और इंडियन डेयरी एसोसिएशन के पूर्व प्रेसिडेंट डॉ. आरएस सोढ़ी का कहना है, ‘दूध उत्पादन बढ़ने के साथ ही आज ये भी जरूरी है कि दूध और उससे बने आइटम की खपत भी बढ़ाई जाए. 

इसके लिए सबसे बेहतर प्रोडक्ट है घी. घी उत्पादन के साथ ही हमे उसकी मार्केटिंग पर काम करने की भी जरूरत है. घी एक आयुर्वेद प्रोडक्ट है. इससे त्वचा अच्छी होती है और दिमाग तेज होता है. लेकिन ये बातें दूसरे देशों को बताने की जरूरत है. क्योंकि जब इटली ऑलिव आयल के लिए और स्विट्जरलैंड चॉकलेट के लिए अपनी पहचान बना सकता है तो भारत भी घी में विश्व स्तर पर अपनी पहचान कायम कर सकता है.’ ये बात उन्होंने ऐसे मौके पर कही है जब घी-मक्खन का एक्सपोर्ट बढ़ने की रिपोर्ट आई है. 

प्लांट बेस्ड के नाम पर डेयरी को पहुंचा रहे नुकसान 

डॉ. सोढ़ी ने डेयरी से जुड़े एक खतरे के बारे में बात करते हुए कहा की आज हमे ग्राहकों को ऐसे आइटम से जागरुक करने की जरूरत है जिनके बारे में दावा किया जाता है कि वो प्लांट बेस्ड हैं. असल में चार-पांच फीसद ही ये प्लांट बेस्ड होते हैं, बाकी तो कैमिकल का इस्तेमाल किया जाता है. अगर प्लांट बेस्ड आइटम की असलियत के बारे में हम ग्राहकों को समझाने में कामयाब हो गए तो डेयरी के घरेलू बाजार में भी डेयरी प्रोडक्ट की खपत बढ़ जाएगी.

मिल्क रेव्युलेशन-2 के तहत करना होगा काम  

डॉ. सोढ़ी का कहना है कि एक बार फिर से दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए मिल्क रेव्युलेशन-2 के तहत काम करना होगा. इसके तहत पहले तो दूध का उत्पादन बढ़ाना होगा. फिर प्रोसेसिंग प्लांट को आधुनिक बनाने के साथ उनकी संख्या बढ़ानी होगी. एक्सपोर्ट और घरेलू दोनों स्तर के बाजार का दायरा बढ़ाना होगा. इसके लिए जरूरी है कि हम घी पर काम करें. वहीं सरकार को चाहिए कि वो कोऑपरेटिव, डेयरी वैल्यू चेन और इंफ्रास्ट्रक्चर में बड़ा इंवेस्ट करे. ऐसा होने से डेयरी को ताकत मिलेगी.

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