
Green Fodder खासतौर से उत्तरी भारत के पशुपालक दोहरी मार झेल रहे हैं. पशुपालकों पर ये परेशानी टूटी है हरे चारे को लेकर. पहले तो राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश बारिश के चलते जमकर नुकसान हुआ. किसानों की बोई हुई फसल पूरी तरह से चौपट हो गई. तो पशुओं के लिए हरा चारा मिलने की जो पहली उम्मीद होती थी वो न के बराबर रह गई. बारिश और बाढ़ के पानी से जो थोड़ी बहुत फसल बची भी तो उससे बहुत कम हरा चारा मिला. आंकड़े बताते हैं कि फसलों से मिले हरे चारा की मात्रा 20-25 फीसद से ज्यादा नहीं है.
लेकिन इस सबके बीच जो सबसे बड़ी परेशानी हो रही है वो है रिजका चारे का बीज. पशुपालकों और किसानों के लिए रिकजा का बीच मुसीबत बन गया. सितम्बर से लेकर नवंबर तक बोया जाने वाला रिजका चारा ही पशुपालकों के लिए सहारा बनता था, लेकिन रिजका के बीज की कमी ने मुसीबत को और बड़ा कर दिया. लेकिन तमाम शिकायतों के बाद ये मालूम नहीं चला कि आखिर हमारे जिले का रिजका बीज आखिर गया कहां.
रामचन्द्र चौधरी का आरोप है कि एक्सपोर्ट होने से रिजका का बीज महंगे दामों पर विदेशों में भेजा जा रहा है. इसी के चलते मौजूदा वक्त में राजस्थान में रिजके का बीज ब्लैक में बिक रहा है. रिजके का जो बीज 200 रुपये किलो मिलता था वही अब बाजार में 500 से 700 रूपये प्रतिकिलो के हिसाब से बिक रहा है. हालांकि आरसीडीएफ द्वारा अपने बीकानेर फार्म से रिजका बीज राजस्थान के पशुपालको को 200 रूपये प्रति किलो में बेचा जा रहा है. लेकिन अभी भी बीज की इतनी मांग है कि बीज के लिए पशुपालक भटक रहे हैं.
रामचन्द्र चौधरी ने अजमेर के सांसद और कृषि राज्य मंत्री भागीरथ चौधरी से मांग की है कि रिजके के बीज के निर्यात पर तत्काल पाबन्दी लगवाकर राजस्थान के पशुपालकों को रिजका बीज सस्ती दर पर उपलब्ध करवाया जाए. नहीं तो पशुपालाकों की हालत वही होगी जो किसानों को खाद और बीज प्रर्याप्त मात्रा में नहीं मिलने पर हुई थी. अगर रिजके के बीज की व्यवस्था नहीं हुई तो राजस्थान में दूध के उत्पादन पर इस साल बुरा असर पडेगा और राजस्थान देश में दूध उत्पादन में दूसरे स्थान पर ही रहेगा.
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