लोगों को लगता है कि बर्ड फ्लू ही मुर्गियों के लिए सबसे घातक जानलेवा बीमारी है. लेकिन ऐसी बात नहीं, गर्मी का मौसम भी मुर्गियों के लिए कम घातक नहीं है. ज्यादा गर्मी और लू की वजह से मुर्गियों में कई तरह के रोग पनपते हैं. इन्हीं रोगों में से एक रोग है रानीखेत है. यह एक संक्रमण रोग है, जो मुर्गियों में तेजी के साथ फैलता है. इस रोग की चपटे में आने से मुर्गियों की मौत हो जाती है. खास बात यह है कि रानीखेत रोग पहली पर 1926 में पता लगा था.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, रानीखेत रोग की चपटने में आने पर मुर्गियां सांस नहीं ले पाती हैं. इसके चलते 100 फीसदी तक मुर्गियों की मौत हो जाती है. वहीं, इस रोग से ग्रसित मुर्गियां अंडा देना बंद कर देती हैं. इस रोग के विषाणु ‘पैरामाइक्सो’ को सबसे पहले वैज्ञानिकों ने उत्तराखंड के ‘रानीखेत’ शहर में चिन्हित किया था. यही वजह है कि पैरामाइक्सो रोग का नाम रानीखेत रख दिया गया. यह रोग मुर्गियों के अलावा टर्की, बत्तख, कोयल, तीतर, कबूतर, कौवे और गिनी में भी तेजी से फैलता है. लेकिन इसका सबसे ज्यादा बुरा असर मुर्गियों के ऊपर ही पड़ता है.
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मुर्गियों में रानीखेत रोग किसी भी उम्र तक हो सकता है. इस रोग के लक्षण पहले से तीसरे सप्ताह में मुर्गियों के ऊपर दिखने लगता है. भारत में रानीखेत रोग के नमूने राज्यों के सभी भागों में देखने को मिलते है. लेकिन आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, महाराष्ट्र और कर्नाटक में यह रोग मुर्गियों में सबसे अधिक लगता है. इस रोग के कारण मुर्गी पालकों को बहुत अधिक नुकसान उठाना पड़ता है, क्योंकि मुर्गियों की मौत हो जाती है. रानीखेत रोग एक मुर्गी से दूसरी मुर्गी में तेजी से फैलता है.
एक्सपर्ट की माने तो संक्रमित पक्षियों के मल, दूषित वायु और उनके दूषित दाना, पानी आदि के स्पर्श से यह रोग एक मुर्गी से दूसरी मुर्गियों में फैलता है. इस रोग के लक्षण दिखाई देने के कुछ दिनों बाद पक्षियों की मौत हो जाती है. रानीखेत रोग कुक्कुट-पालक को कई तरह से आर्थिक नुकसान पहुंचाता है. इस रोग के चलते मुर्गियों का वजन कम हो जाता है. वह अंडा देना बंद कर देती हैं. ऐसे में कुक्कुट-पालन से जुड़े किसानों को नुकसान होता है.
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वहीं, इस रोग की सबसे बड़ी खासियत है कि मुर्गियों का दिमाग काम करना बंद कर देता है. शरीर का संतुलन लड़खड़ता है, गर्दन लुढ़कने लगती है. फिर छींके और खांसी आना शुरु हो जाता है. इसके अलावा सांस लेने में तकलीफ होती है. इस रोग से ग्रसित मुर्गियों को कभी-कभी शरीर के किसी हिस्से को लकवा मार जाता है. साथ ही मुर्गियां दाना खाना कम कर देतीं हैं और मुर्गियों को प्यास काफी अधिक लगती है. इसके अलावा मुर्गियां विकृत रूप की अंडे देतीं हैं.