पोल्ट्री सेक्टर में मुर्गे-मुर्गियों को जो दाना (फीड) खिलाया जाता है उसमे एक बड़ा हिस्सा मक्का का होता है. और आज बाजार में मक्का के दाम और मक्का की उपलब्धता किसी से छिपी नहीं है. मक्का के चलते पोल्ट्री फीड के दाम बहुत बढ़ गए हैं. अंडे और चिकन की लागत में भी बहुत फर्क आ गया है. लेकिन बीते करीब दो साल में अभी तक पोल्ट्री फार्मर को कोई राहत मिलती हुई नहीं दिख रही है. पोल्ट्री सेक्टर से जुड़े कारोबारियों का दर्द ये भी है कि मक्का के दाम बढ़ गए, लेकिन अंडे-चिकन के दाम नहीं बढ़े हैं.
हालांकि पोल्ट्री फार्मर की इस परेशानी पर अब मंत्रालय में भी चर्चा होने लगी है. डेयरी-पशुपालन मंत्रालय से लेकर कृषि मंत्रालय तक में चर्चा हो रही है. पोल्ट्री एक्सपर्ट इस परेशानी के लिए मक्का के इथेनॉल में इस्तेमाल होने को वजह बताते हैं. वहीं अच्छी खबर ये है कि एक्सपर्ट के मुताबिक इथेनॉल प्लांट से ही मक्का की परेशानी का हल निकलेगा.
पोल्ट्री फेडरेशन ऑफ इंडिया (पीएफआई) के प्रेसिडेंट रनपाल डाहंडा का कहना है कि मक्का पोल्ट्री फीड का अहम हिस्सा है. अगर डीडीजीएस को पोल्ट्री फीड में शामिल किया जाता है तो उसके लिए कुछ मानक है. उन मानक को पूरा करने पर ही इसका इस्तेमाल करने से फायदा होगा. जैसे एफ्लाटॉक्सिन का लेवल 20 पीपीबी से कम होना चाहिए. वहीं नमी का लेवल भी 12 से कम ही होना चाहिए. अगर ये मानक पूरे किए जाते हैं तो फिर डीडीजीएस को इस्तेमाल करने में कोई बुराई नहीं है. क्योंकि पोल्ट्री प्रोडक्ट अंडे-चिकन की क्वालिटी को बनाए रखना भी हमारा ही काम है.
इस मौके पर उन्होंने अपनी बात रखने के साथ ही पीएफआई टीम को इथेनॉल बनाने वाले प्लांट का दौरा करने का निमंत्रण भी दिया. साथ ही पीएफआई के सुझावों की सराहना भी की. आखिर में ये भी तय हुआ कि अगर डीडीजीएस निर्माता लगातार गुणवत्ता प्रदान करते हैं और उसे बनाए रखते हैं तो पोल्ट्री फीड में डीडीजीएस के इस्तेमाल की गुंजाइश बाकी है.
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