Sheep Meat Production मीट का नाम आते ही सबसे पहला जिक्र बकरों का होता है. तब कहीं जाकर दूसरे नंबर पर चिकन यानि मुर्गों की बात होती है. बफैलो मीट का नाम तो सिर्फ एक्सपोर्ट की बातचीत में ही लिया जाता है. कहने का मतलब ये है कि भेड़ की कहीं-कोई गिनती ही नहीं होती है. लेकिन मीट के टेस्ट की जंग में अब बकरों का जलवा फीका पड़ गया है. टेस्ट के इस बाजार में भेड़ बकरों पर भारी पड़ गई हैं. एक-दो नहीं देश के पांच राज्यों में भेड़ बड़ी ही तेजी से वहां की पसंदीदा बन गई हैं. डिमांड इतनी बढ़ गई है कि मीट और जिंदा भेड़ इंपोर्ट करनी पड़ रही हैं. एक्सपर्ट का कहना है कि भेड़ के मीट में होने वाले फैट के चलते बिरयानी टेस्टी बनती है. इसीलिए मीट को ज्यादा पसंद किया जा रहा है.
जम्मू-कश्मीर में भेड़ के मीट की डिमांड तेजी से बढ़ रही है. हालात ये हैं कि बीते साल वहां 22 हजार टन भेड़ के मीट का उत्पादन हुआ था. जबकि बाजार में मीट की डिमांड 48 हजार टन की थी. इसी को देखते हुए सरकार वहां मीट का ज्यादा उत्पादन करने वाले भेड़ों की नस्ल ला रही है. हाल ही में ऑस्ट्रेलिया सरकार के साथ हुए एक समझौते के तहत 26 करोड़ रुपये से 900 भेड़ लाई जा रही हैं. भेड़ों का इस्तेमाल ब्रीडिंग के लिए किया जाएगा. इसमे ड्रॉपर और टेक्सला नस्ल की भेड़ शामिल हैं.
मीट एंड लाइव स्टाक ऑस्ट्रेलिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक साल 2021 में भारत में भेड़ का मीट 20 लाख टन खाया गया है. वहीं 2026 इसमे तीन फीसद की बढ़ोतरी के साथ 23.86 लाख टन होने की उम्मीद है. जानकारों का कहना है कि लैम्ब मीट ऑस्ट्रेलिया से इंपोर्ट किया जा रहा है. 2021 में तीन हजार करोड़ डॉलर का लैम्ब मीट भारत में खाया गया था.
ये भी पढ़ें-Egg Export: अमेरिका ने भारतीय अंडों पर उठाए गंभीर सवाल, कहा-इंसानों के खाने लायक नहीं...
ये भी पढ़ें-Milk Growth: दूध का फ्रॉड रोकने को गाय-भैंस के खरीदार करा रहे डोप टेस्ट, पढ़ें डिटेल