बकरीद पर कुर्बानी के बकरे की पहली शर्त ही उसकी खूबसूरती है. और इस मामले में जमनापारी बकरे को कान ही नहीं आंखे भी खूबसूरत बनाती हैं. नाक और पैरों पर थाई के पास आने वाले बाल इस नस्ल के बकरे की एक खास पहचान है. यही इसकी खूबसूरती भी है. लम्बी कद-काठी के चलते जमनापारी नस्ल के बकरों की डिमांड विदेशों तक में है. यही वजह है कि दूसरे देशों की सरकार भी भारत की सरकार से जमनापारी नस्ल के बकरों की डिमांड करती हैं. बकरे-बकरियों की नस्ल सुधार के लिए जमनापारी नस्ल का इस्तेमाल देश ही नहीं विदेशों में भी किया जा रहा है.
इस नस्ल को थ्री इन वन नस्ल भी कहा जाता है. इसकी खासियत ये है कि इस नस्ल को दूध, मीट और बच्चा देने के मामले में दूसरी नस्ल से बहुत खास माना जाता है. नेपाल, भूटान, इंडोनेशिया, फिलीपींस, मलेशिया आदि देश में इस नस्ल के बकरे भेजे जा चुके हैं. खासतौर पर सफेद रंग में पाए जाने वाले यह बकरे सामान्य से ज्यादा लम्बे होते हैं. देखने में भी खूबसूरत होते हैं.
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