एग्रीकल्चर में बड़ा बदलाव,फसलों की जगह ले रहे हैं दूध, मांस और मछली

एग्रीकल्चर में बड़ा बदलाव,फसलों की जगह ले रहे हैं दूध, मांस और मछली

भारत में कृषि का चेहरा बदल रहा है. अब फसलें ही नहीं, बल्कि पशुपालन, मत्स्य पालन और एक्वाकल्चर भी खेती की कमाई में बड़ा योगदान दे रहे हैं. जानिए कैसे नॉन-क्रॉप सेक्टर ने कृषि GVO में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाई है.

नॉन-क्रॉप सेक्टर की चमक बढ़ीनॉन-क्रॉप सेक्टर की चमक बढ़ी
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Jun 29, 2025,
  • Updated Jun 29, 2025, 11:49 AM IST

भारत में कृषि और इससे जुड़ी गतिविधियों का स्वरूप लगातार बदल रहा है. एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, नॉन-क्रॉप सेक्टर जैसे कि पशुपालन, मत्स्य पालन और एक्वाकल्चर की हिस्सेदारी कृषि के कुल ग्रॉस वैल्यू ऑफ आउटपुट (GVO) में लगातार बढ़ रही है. वहीं, फसल क्षेत्र की हिस्सेदारी घट रही है, भले ही वह अब भी सबसे बड़ा योगदानकर्ता है.

फसल क्षेत्र की घटती हिस्सेदारी

वर्ष 2011-12 में फसल क्षेत्र का कुल GVO में हिस्सा 62.4% था, जो कि 2023-24 में घटकर 54.1% रह गया है. यह आंकड़ा यह दर्शाता है कि अब कृषि में नॉन-क्रॉप गतिविधियों की भूमिका पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण हो गई है.

पशुपालन का बढ़ता योगदान

पशुपालन क्षेत्र ने GVO में अपनी हिस्सेदारी 25.6% से बढ़ाकर 31.2% कर ली है. इस क्षेत्र से कुल उत्पादन का मूल्य 2011-12 में ₹4.88 ट्रिलियन से बढ़कर 2023-24 में ₹9.19 ट्रिलियन हो गया है. यह कृषि क्षेत्र के सबसे तेज़ी से बढ़ने वाले हिस्सों में से एक बन गया है.

  • दूध का दबदबा बरकरार: दूध अब भी पशुपालन क्षेत्र का सबसे बड़ा उत्पाद है, हालांकि इसका प्रतिशत योगदान 67.2% से घटकर 65.9% हो गया है.
  • मांस उत्पादन में इजाफा: मांस का योगदान 19.7% से बढ़कर 24.1% हो गया है, जो बताता है कि लोगों की मांग और खपत के पैटर्न में भी बदलाव आया है.

मत्स्य पालन और एक्वाकल्चर की स्थिति

मत्स्य पालन और एक्वाकल्चर ने भी GVO में अपनी हिस्सेदारी 4.2% से बढ़ाकर लगभग 7% तक पहुंचा दी है. इसमें भी कुछ दिलचस्प बदलाव देखने को मिले हैं:

इनलैंड फिश की घटती हिस्सेदारी: इनलैंड मछलियों की हिस्सेदारी 57.7% से घटकर 50.2% हो गई है.
मरीन फिश की बढ़ती हिस्सेदारी: समुद्री मछलियों की हिस्सेदारी 42.3% से बढ़कर 49.8% हो गई है, जिससे समुद्री मत्स्य पालन का महत्व बढ़ा है.

फलों में भी बदला ट्रेंड, अब केला आगे

जहाँ पहले आम फलों की GVO में सबसे आगे था, वहीं 2023-24 में केले ने आम को पीछे छोड़ दिया है. आम से जहां ₹461 अरब का उत्पादन हुआ, वहीं केले से ₹471 अरब का उत्पादन दर्ज किया गया.

कुल GVO में मजबूत वृद्धि

कृषि और इससे जुड़ी गतिविधियों का कुल GVO (स्थिर कीमतों पर) 2011-12 में ₹19.08 ट्रिलियन था, जो 2023-24 में बढ़कर ₹29.49 ट्रिलियन हो गया. यह लगभग 55% की वृद्धि को दर्शाता है. फसल क्षेत्र अब भी सबसे बड़ा भागीदार है, जिसकी GVO 2023-24 में ₹15.95 ट्रिलियन रही और यह कुल GVO का 54.1% हिस्सा बनाता है.

यह साफ है कि भारत में कृषि अब केवल फसलों तक सीमित नहीं रही है. पशुपालन, मछली पालन और अन्य नॉन-क्रॉप सेक्टर्स कृषि की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं. यह बदलाव ग्रामीण भारत की आय बढ़ाने, पोषण सुधारने और रोजगार के नए अवसर पैदा करने की दिशा में एक सकारात्मक कदम है.

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