Zoonotic Disease: वन हैल्थ, वन मिशन से ऐसे रोकेंगे Bird Flu, कोराना जैसी बीमारी, ये है तरीका

Zoonotic Disease: वन हैल्थ, वन मिशन से ऐसे रोकेंगे Bird Flu, कोराना जैसी बीमारी, ये है तरीका

Zoonotic Disease जूनोटिक बीमारियों के प्रकोप को देखते हुए ही सरकार ने इन बीमारियों पर काबू पाने के लिए नेशनल वन हैल्थ मिशन (NOHM) शुरू किया है. ये वो बीमारियां हैं जो पशु-पक्षि‍यों से इसांनों में होती हैं. जी-20 महामारी कोष इसे कंट्रोल करने के लिए बड़ी रकम खर्च कर रहा है. केन्द्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय (डीएएचडी) देश में इस मिशन को चला रहा है. 

H5N5 Bird flu virusH5N5 Bird flu virus
नासि‍र हुसैन
  • New Delhi,
  • Dec 18, 2025,
  • Updated Dec 18, 2025, 8:17 PM IST

Zoonotic Disease कोरोना, इबोला, जीका वायरस और इंफ्लूंजा ए-बी (बर्ड फ्लू) जैसी जानलेवा बीमारियां इंसानों में पशु-पक्षि‍यों से आती हैं. जरूरी नहीं की हम संक्रमित पशु-पक्षी के पास जाएं तभी हमें ये बीमारियां होंगी. कई बार दूसरी कुछ वजहों के चलते भी इन बीमारियों के वायरस हमारे पास तक पहुंच जाते हैं. एक बार ये बीमारी पशु-पक्षी से किसी इंसान को हो जाए तो फिर ये बहुत ही तेजी से फैलती हैं. लेकिन इन बीमारियों का उपाय क्या है. इन्हें फैलने से कैसे रोका जा सकता है. एनिमल एक्सपर्ट का कहना है कि पशु-पक्षि‍यों से इंसानों में फैलने वाली बीमारियों को जूनोटिक (जूनोसिस) कहा जाता है. 70 फीसद बीमारियां ऐसी हैं जो पशु-पक्षि‍यों से ही इंसानों में होती हैं.  

जूनोटिक बीमारियों से निपटने की ये है तैयारी 

  • जूनोटिक बीमारियों से निपटने को प्लान के तहत तीन लेवल पर सात बड़े काम किए जा रहे हैं.  
  • नेशनल और स्टेट लेवल पर महामारी की जांच के लिए संयुक्त टीम बनाई गई हैं.  
  • पशुओं की बीमारी की निगरानी का सिस्टम तैयार किया गया है. 
  • महामारी फैलने पर संयुक्त टीम रेस्पांस करेगी. 
  • मिशन के रेग्यूलेटरी सिस्टम को मजबूत बनाने पर काम हो रहा है. 
  • महामारी फैलने से पहले लोगों को चेतावनी देने के लिए सिस्टम बनाया जा रहा है. 
  • नेशनल डिजास्टर मैंनेजमेंट अथॉरिटी के साथ मिलकर महामारी की गंभीरता कम की जाएगी. 
  • प्राथमिक रोगों के टीके और उसका इलाज विकसित करने के लिए तय रिसर्च हो रही है.
  • तय वक्त में बीमारी का पता लगाने, जीनोमिक, पर्यावरण निगरानी के फार्मूले तैयार किए जा रहे हैं. 

इसलिए शुरु किया गया है NOHM 

  • कोविड, स्वाइन फ्लू, एशियन फ्लू, इबोला, जीका वायरस, एवियन इंफ्लूंजा बीमारियां फैल रही हैं. 
  • ऊपर बताई गईं बीमारियों जूनोटिक की कैटेगिरी में आती हैं. 
  • ऊपर बताई गईं बीमारियों में से ज्यादातर पशु-पक्षियों से इंसानों में आई हैं. 
  • एक रिपोर्ट के मुताबिक 17 लाख वायरस जंगलों में फैले होते हैं. 
  • इसमे से बहुत सारे ऐसे वायरस हैं जो जूनोटिक की कैटेगिरी में आते हैं. 
  • जूनोटिक के विश्व में हर साल 100 करोड़ केस सामने आते हैं. 
  • विश्व में हर साल 10 लाख मौत जूनोटिक बीमारियों से हो जाती हैं. 
  • जूनोटिक बीमारियों पर काबू पाने के लिए वर्ल्ड लेवल पर कवायद शुरू हो गई है.

निष्कर्ष-

सरकार जूनोटिक बीमारियों पर काम और चर्चा दोनों ही कर रही है. चर्चा में डर के साथ कुछ सवाल भी हैं. सवाल वो हैं जो आम इंसान और पशुपालक दोनों से ही जुड़े हुए हैं. इसलिए ऐसा नहीं है कि जो पशुपालक है वो ही बायो सिक्योरिटी का पालन करेगा. आम इंसान के लिए भी जरूरी है कि किसी पशु-पक्षी को हाथ लगाने से पहले और बाद अपने हाथों को सैनिटाइज करना है. 

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