Animal Husbandry: NDLM से खुलेगा गांव से ग्लोबल का रास्ता, उत्पादन से बिक्री तक में मिलेगी मदद

Animal Husbandry: NDLM से खुलेगा गांव से ग्लोबल का रास्ता, उत्पादन से बिक्री तक में मिलेगी मदद

Animal Husbandry पशुओं का डाटा रखना कितना जरूरी है इसका महत्व नेशनल डिजिटल लाइव स्टॉक मिशन (NDLM) से चल जाता है. क्योंकि पशुओं के डिजिटल रिकॉर्ड के आधार पर बीमा, लोन और मुआवजा आसानी से मिल जाता है. इतना ही नहीं एक्सपोर्ट सेक्टर मजबूत होता है क्योंकि ट्रेसेबिलिटी सिस्टम से भारतीय पशु उत्पाद अंतरराष्ट्रीय मानकों को पूरा कर रहे हैं. ऐसे ही और फायदे एक्सपर्ट ने गिनाए हैं. 

नासि‍र हुसैन
  • New Delhi,
  • Dec 17, 2025,
  • Updated Dec 17, 2025, 3:40 PM IST

‘UPI ने बाजार में और GeM ने सरकारी महकमे में खरीद-फरोख्त की तस्वीर ही बदल दी है. सब कुछ लीगल और पारदर्शी हो गया है. इसी तरह से पशुपालन में नेशनल डिजिटल लाइव स्टॉक मिशन (NDLM) को देखा जा रहा है. एक्सपर्ट की मानें तो NDLM पशुपालन और डेयरी के लिए गांव से ग्लोबल तक के रास्ते को आसान बनाएगा. और ये मुमकिन होगा 12 डिजिट वाली एक खास आईडी से. इसे पशु आधार नाम दिया गया है. पशु आधार जो ‘ट्रेस टू ट्रेड’ को मुमकिन बनाता है. इसके तहत पशुओं के टीकाकरण, प्रजनन और उत्पादकता से लेकर बाजार तक का पूरा डिजिटल ट्रैक रिकॉर्ड किया जाता है.

भारत में पहली बार बड़े पैमाने पर इस तरह का डाटा रखा जा रहा है. ये सिर्फ पशु चिकित्सा ही नहीं, उत्पादकता, व्यापार और किसानों की इनकम से जुड़ा हुआ है. इस योजना का मकसद छोटे और सीमांत पशुपालकों की इनकम को डबल करना है. जिसमे खासकर भेड़ और बकरी पालने वाले ऐसे पशुपालक हैं जिनकी जिंदगी पशुधन पर ही निर्भर है.’ ये कहना है केन्द्रीय डेयरी और पशुपालन मंत्रालय समेत कई दूसरे मंत्रालयों से लम्बे वक्त तक जुड़ी रहीं मल्लिेका पांडे का. 

पशुपालन में ऐसे फायदा पहुंचा रहा NDLM

मल्लिलका पांडे ने किसान तक को बताया कि NDLM के तहत पशुओं का तैयार होने वाला पशु आधार स्वास्थ्य रिकॉर्ड, टीकाकरण इतिहास, प्रजनन डिटेल और प्रोडक्शन मेट्रिक्स को साथ जोड़ती है. भारत में आज पशुओं की आबादी 53 करोड़ से ज़्यादा है. इसमे भी सबसे ज्यादा दूध उत्पादन करने वालीं गाय और भैंस की आबादी 30 करोड़ है. NDLM एक ऐसे सेक्टर में अभूतपूर्व पारदर्शिता ला रहा है जो कृषि GDP में 30 फीसद से ज़्यादा का योगदान देता है. पशुधन सेक्टर कृषि क्षेत्र की तुलना में तेज़ी से बढ़ रहा है.

एनिमल प्रोडक्ट को मिल रही ग्लोबल पहचान 

मल्लि का का कहना है कि NDLM के तहत सिर्फ गाय-भैंस ही नहीं, बल्कि भेड़ और बकरियों समेत लाखों छोटे जुगाली करने वाले जानवरों को रजिस्टर करके डिजिटल पहचान बनाने की एक बड़ी कोशि‍श है. 
NDLM बीमारी का पता लगाने की क्षमता को सक्षम करके बीमारी से होने वाले नुकसान को कम करता है. जि‍लास्तर पर देश के सबसे बड़े टीकाकरण कार्यक्रमों को डिजिटल रूप में ट्रैक किया जाता है. वहीं हर एक पशु को बीमा और क्रेडिट से जोड़कर बाजार आधारित पशुधन अर्थव्यवस्था स्थापित की जाती है. ये सिस्टम गाय के घी, पश्मीना ऊन और अन्य प्रीमियम और स्वदेशी एनिमल प्रोडक्ट जैसे स्वदेशी उत्पादों में भी वैश्विक विश्वास बना रहा है.

बीमारियों की निगरनी और कंट्रोल दोनों हो रहे काम 

एक्सपर्ट के मुताबिक NDLM पशुओं की चार प्रमुख बीमारियों के लिए निगरानी को मानकीकृत बनाता है. खुरपका-मुंहपका रोग, ब्रुसेलोसिस, पेस्ट डेस पेटिट्स रूमिनेंट्स (PPR), और क्लासिकल स्वाइन फीवर, और ग्रामीण डेटा को ग्रामीण आय में बदलता है. एक ऐसे देश में जहाँ पशुधन मूल्य का तीन-चौथाई हिस्सा किसानों के पास वापस आता है.

NDLM में सुधार की ये है गुंजाइश 

मल्लिोका पांडे का कहना है कि NDLM केवल रिकॉर्ड रखने की व्यवस्था बनकर न रह जाए, यह एक बड़ी चिंता है. अगर संस्थागत स्तर पर इसका सही उपयोग नहीं हुआ  तो इसका असर सीमित हो जाएगा. पैरा-वेट्स और फील्ड स्टाफ की डिजिटल क्षमता में असमानता NDLM की सफलता में रुकावट बन सकती है. डेटा तो बहुत बन रहा है, लेकिन उसका इस्तेमाल कम हो रहा है. जरूरत है कि डेटा को नीति और योजना में कैसे बदला जाए. पैरा-वेट्स और फील्ड कर्मियों की ट्रेनिंग NDLM की कामयाबी के लिए जरूरी है. 

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