सर्दियों का मौसम पशुपालन के लिए बहुत अच्छा माना जाता है. ये वो मौसम है जब पशु खूब दूध देते हैं. इसी मौसम में पशु हीट में भी ज्यादा आते हैं. लेकिन एनिमल एक्सपर्ट की मानें तो मौसम चाहें कोई भी हो, लेकिन पशुओं को एक खास देखभाल की जरूरत होती है. क्योंकि दूध देने वाले पशु भेड़-बकरी से लेकर गाय-भैंस तक की कीमत 15 हजार रुपये से लेकर एक लाख तक होती है. अब अगर ठंड के मौसम में देखभाल के दौरान जरा सी भी लापरवाही हो जाए तो पशु के बीमार होने के साथ ही उसकी जान पर भी बन आती है. उसके उत्पादन पर असर पड़ता है सो अलग.
अक्टूबर से लेकर जनवरी-फरवरी के बीच ही पशुओं की खरीद-फरोख्त भी खूब होती है इसलिए भी पशुओं की देखभाल और ज्यादा जरूरी हो जाती है. क्योंकि बीमार और कम दूध देने वाला पशु कोई नहीं खरीदना चाहेगा. खास बात ये है कि इस दौरान केन्द्र और राज्य सरकारें भी पशुपालकों को आर्थिक नुकसान से बचाने के लिए समय-समय पर पशु की देखभाल से जुड़ी एडवाइजरी जारी करती हैं.
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छोटे-बड़े पशुओं के बाड़े में करें ये उपाय
- पशुओं को शीत लहर से बचाने के सभी इंतजाम कर लें.
- दिन और रात के मौसम का अपडेट लेते रहें.
- रात के वक्त बाड़े को तिरपाल आदि से ढककर रखें.
- पशुओं के नीचे फर्श पर पुआल आदि बिछा दें.
- बाड़े में साफ-साफ देखने लायक रोशनी रखें.
- बाड़े को गर्म रखने का इंतजाम कर लें.
- पशुओं को सूखी जगह पर ही बांधे.
- पशुओं को पेट के कीड़े मारने वाली दवा खिलाएं.
- चॉर्ट के मुताबिक पशुओं को टीके लगवाते रहें.
- मक्खी-मच्छर के लिए नीम तेल का इस्तेमाल करें.
- पशुओं की पीठ पर मोटे कपड़े या बोरी बांध दें.
- सर्दी में पशुओं को खली और गुड़ खिलाएं.
- बीमारी के लक्षण दिखने पर डॉक्टर को दिखाएं.
- दिनभर में तीन से चार बार हल्का गर्म पानी पिलाएं.
- बीमार, कमजोर और गाभिन पशु का खास ख्याल रखें.
- मृत पशु के शव का निस्तारण आबादी-तालाब से दूर करें.
- आग लगने में सहायक वस्तुओं को पशु के बाड़े से दूर रखें.
- पशु के नए बाड़े का निर्माण मौसम के हिसाब से ही कराएं.
- मक्खी-मच्छर भगाने को बाड़े में लैमनग्रास-नारगुण्डी को टांग दें.
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सर्दी के मौसम में पशुओं के साथ क्या ना करें
- सर्दियों के मौसम में पशुओं को खुला ना छोड़ें.
- पशु मेलों का आयोजन नहीं करना चाहिए.
- ठंडा चारा और पानी पशुओं को नहीं देना चाहिए.
- नमी और धुंए वाली जगह पर पशुओं को नहीं रखना चाहिए.
- बाड़े में नमी के चलते निमोनिया का खतरा बढ़ जाता है.
- दिसम्बर-जनवरी में सुबह के वक्त पशुओं को खुले में ना ले जाएं.