Animal Care: पशुपालकों के लिए जी का जंजाल बनीं मक्खी-मच्छर से होने वाली बीमारियां, जानें क्यों

Animal Care: पशुपालकों के लिए जी का जंजाल बनीं मक्खी-मच्छर से होने वाली बीमारियां, जानें क्यों

पशुओं की पुरानी और बड़ी परेशानी अब और मुश्किल पैदा कर रही है. अभी तक परजीवी रोग (पैरासाइटिक डिसीज) का इलाज दवाईयों से हो जाता था. लेकिन अब परजीवी विरोधी प्रतिरोध (एंटीपैरासिटिकरेजिस्टेंस) के चलते पशुओं के डाक्टर भी परेशान हो उठे हैं. लेकिन जब तक इसका कोई नहीं समाधान नहीं आता है तब तक कुछ उपाय अपनाकर इससे बचा जा सकता है.

पशुधन नस्‍ल सुधार के लिए दो प्रोजेक्‍ट्स शुरू . (सांकेतिक फोटो)पशुधन नस्‍ल सुधार के लिए दो प्रोजेक्‍ट्स शुरू . (सांकेतिक फोटो)
नासि‍र हुसैन
  • NEW DELHI,
  • Oct 07, 2024,
  • Updated Oct 07, 2024, 10:39 AM IST

मच्छर-मक्खी, जोंक, किलनी आदि पशुओं को होने वाली बीमारियों के बड़े वाहक हैं. इन्हें वेक्टर भी कहा जाता है. ये पशुओं से चिपककर उन्हें काटते और उनका खून चूसते हैं. कुछ कीट तो ऐसे भी हैं जो गाय-भैंस, भेड़-बकरी आदि के रक्त में शामिल हो जाते हैं. जिसके चलते पशुओं को खुजली से लेकर कई तरह की गंभीर बीमारियां हो जाती हैं. बीमार होने के साथ ही पशुओं का उत्पादन घट जाता है. इन्हें परजीवी रोग (पैरासाइटिक डिसीज) भी कहा जाता है. ये बीमारी हमेशा से ही पशुपालकों की बड़ी परेशानी रही है. लेकिन एक रिपोर्ट के मुताबिक ये परेशानी अब और बड़ी हो गई है. अभी तक परजीवी रोगों का इलाज कुछ खास तरह की दवाई देकर हो जाता था. 

लेकिन अब परेशान करने वाली बात ये है कि बीते कुछ वक्त से दवाईयां भी पशुओं पर असर नहीं कर रही हैं. जिसकी बड़ी वजह है परजीवी विरोधी प्रतिरोध (एंटीपैरासिटिक रेजिस्टेंस). इसके चलते पशुओं की परजीवीजनित बीमारियों का इलाज करना मुश्किजल हो गया है. लेकिन इस बारे में डॉ. मैना कुमारी और डॉ. मनीष कुमार पशु विज्ञान केन्द्र, सूरतगढ़, राजस्थान ने कुछ उपाय अपनाने का सुझाव दिया है.

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परजीवी विरोधी प्रतिरोध (एंटीपैरासिटिक रेसिस्टेंस) की वजह 

दवाओं का जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल (ओवरयूज). एंटीपैरासिटिक दवाओं का ज्यादा इस्तेमाल और उस पर कंट्रोल ना होना परजीवियों में प्रतिरोधकता बढ़ने की एक बड़ी वजह है. सही तरह से दवाई ना लेना, पशुओं को सही तरीके से दवाई ना देना, डॉक्टर द्वारा बताई गई दवाई का पूरा कोर्स ना करना भी एक वजह है. पर्यावरणीय और जैविक कारण भी हैं. परजीवियों की प्राकृतिक चयन प्रक्रिया और उनके जीन में होने वाले बदलाव भी प्रतिरोधकता का कारण बन रहे हैं.

ऐसे रोक सकते हैं परजीवी विरोधी प्रतिरोध

1 केवल पशु चिकित्सक की सलाह पर ही पशुओं को एंटीपैरासिटिक दवाई खि‍लाएं. 

2 पशुओं के लिए डाक्टर के बताए कृमिनाशक शेडयूल का पालन करें.

3 पशुचिकित्सक द्वारा बताई गई दवाओं के कोर्स को पूरा करें.

4 दवाई की डाक्टर द्वारा बताई गई डोज ही दें, कम या ज्यादा मात्रा ना दें.

5 पशुओं का इलाज नीम-हकीमों से ना करवायें.

6 दवा का इस्तेमाल करने से पहले ड्रग लेबल पर दिए गए निर्देशों को पढ़ लें.

7 एक ही पशु में परजीवी रोधी दवाओं को सालाना बदलें.

8 परजीवी विरोधी प्रतिरोधकता पर शैक्षिक और जागरूकता कार्यक्रमों को बढ़ावा दें.

9 अपने फार्म में कृमि नियंत्रण का पूरा रिकॉर्ड रखें.

10 पशुओं में परजीवी नियत्रंण के लिए एथनोवेटरनरी दवाई (ईवीएम) का इस्तेमाल करें.

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भूलकर भी ना करें ये काम

  • डाक्टर के अलावा किसी और की सुझाई गई परजीवी विरोधी दवाई पशुओं को ना खि‍लाएं.
  • लगातार एक जैसी दवाई पशुओं को ना खि‍लाएं. 
  • कभी भी पशुओं को खुद से कोई दवाई ना दें.
  • पशुओं में सामूहिक कृमिनाशन न करें.
  • खुद के अनुभव के आधार पर स्टोर से दवाई खरीदकर पशुओं को ना खि‍लाएं. 
     

 

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