Milk Production: ये 4 काम किए तो बरसात में भी भरपूर दूध देंगी गाय-भैंस, पढ़ें डिटेल 

Milk Production: ये 4 काम किए तो बरसात में भी भरपूर दूध देंगी गाय-भैंस, पढ़ें डिटेल 

Milk Production in Monsoon मॉनसून के दौरान बरसात में पशुपालक की सर्तकता. पशुपालक की सर्तकता उसके पशु को कई तरह के इंफेक्शन से बचा सकती है. इसके साथ ही एनिमल एक्सपर्ट के बताए कुछ उपाय अपनाकर भी पशुओं की बीमारियों को दूर किया जा सकता है. और इसके लिए घर में ही वो जरूरी सामान मौजूद होता है जिसकी जरूरत इलाज में पड़ती है. 

Advanced breeds of cow and buffaloAdvanced breeds of cow and buffalo
नासि‍र हुसैन
  • New Delhi,
  • Jul 07, 2025,
  • Updated Jul 07, 2025, 1:08 PM IST

Milk Production in Monsoon बरसात के दौरान मौसम अच्छा होता है तो गाय-भैंस तनाव में भी नहीं आती हैं. खेत और खुले मैदान में हरा चारा खूब होता है तो खाने की भी कमी नहीं होती है. लेकिन, बावजूद इतना सब होने के बाद भी खासतौर पर बरसात के दिनों में गाय-भैंस का दूध उत्पादन कम हो जाता है. एनिमल एक्सपर्ट की मानें तो इसके पीछे छोटी-छोटी बहुत सारे वजह हैं, लेकिन खास पांच ऐसी वजह हैं जिनसे बरसात के दिनों में पशुओं को बचाने की कोशि‍श करनी चाहिए. ये परेशानियां हैं तो बहुत छोटी, लेकिन इनके चलते पशुपालकों को बड़े नुकसान उठाने पड़ते हैं. पशुओं को होने वाली किसी भी तरह की परेशानी सबसे पहले उसके दूध-मीट के उत्पादन को घटा देती है. 

लेकिन पशुओं की खुराक उतनी ही रहती है. इसके साथ ही उस परेशानी को दूर करने के लिए होने वाला खर्च दूध-मीट की लागत को बढ़ा देता है. इसका सीधा असर पशुपालक के मुनाफे पर पड़ता है. उत्पादन की लागत बढ़ने के साथ ही पशु हानि का खतरा भी मंडराने लगता है. हालांकि बच्चा देने के बाद जेर का न गिरना पशुओं के लिए जानलेवा तक हो जाता है. हालांकि ये सभी चार परेशानियां ऐसी हैं जिनका इलाज घर में मौजूद सामान से भी किया जा सकता है. 

पशुओं के शरीर पर नीम के पानी का करें स्प्रे 

पशुओं के जूं और किलनी होने के दौरान नीम के पत्तों को पानी में उबालकर गाय के शरीर पर स्प्रे करें. या फिर एक कपड़े को नीम के पानी में डालकर कपड़े से पशु को धोना चाहिए. इस उपाय को कई दिन लगातार करने से गाय की जूं और किलनी की परेशानी दूर हो जाती है. 

जेर को हाथ लगाकर खींचने की कोशि‍श न करें 

गाय-भैंस के प्रसव के बाद जेर पांच घंटे में गिर जानी चाहिए. अगर ऐसा न हो तो गाय दूध भी नहीं देती. अगर जेर ना गिरे तो फौरन ही पशुओं के डॉक्टर से सलाह लेकर जेर से जुड़े उपाय अपनाने चाहिए. इसके साथ ही पशु के पिछले भाग को गर्म पानी से धोना चाहिए. और खास ख्याल रहे कि किसी भी हाल में जेर को ना तो हाथ लगाएं और ना ही जेर को खींचने की कोशिश करनी चाहिए.

चोट-घाव हो तो लगातार साफ करते रहें 

चोट या घाव में कीड़े पड़ने से पशु बहुत ज्यादा परेशानी महसूस करता है. जब भी पशु के शरीर पर कोई भी चोट या घाव देखें तो फौरन ही उसकी गर्म पानी में फिनाइल या पोटाश डालकर सफाई करनी चाहिए. घाव में अगर कीड़े हों तो एक पट्टी को तारपीन के तेल में भिगोकर पशु के उस हिस्से पर बांध देनी चाहिए. मुंह के घावों को हमेशा फिटकरी के पानी से धोना चाहिए. 

बढ़ने न दें योनि इंफेक्शन

योनि में इंफेक्शन तब बनता है जब बच्चा देने के बाद गाय-भैंस की जेर आधी शरीर के अंदर और आधी बाहर लटक जाती है. ऐसा होने पर गाय के शरीर का तापमान बढ़ जाता है और योनि मार्ग से बदबू आने लगती है. इसके साथ ही पशु की योनि से तरल पदार्थ रिसने लगता है. इस स्थिति में पशु चिकित्सक की निगरानी में गाय के उस हिस्से को गुनगुने पानी में डिटॉल और पोटाश मिलाकर साफ करना चाहिए. 

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